केंद्रीय बैंक – Central Bank
सभी देशों में विभिन्न बैंकों के शीर्ष स्थान पर एक केंद्रीय बैंक होता है जिस पर सरकार का स्वामित्व एवं नियंत्रण रहता है । केंद्रीय बैंकों का विकास मुख्यतः बीसवीं शताब्दी में हुआ है । केंद्रीय बैंक देश की संपूर्ण मौद्रिक एवं बैंकिंग व्यवस्था का नियंत्रण करता है तथा सभी बैंकों के बैंक का कार्य करता है । इसका प्रमुख कारण देश के अंतर्गत पत्र मुद्रा को जारी करना तथा सरकार की मौद्रिक नीति को कार्यान्वित करना है । यह सरकार के बैंक एजेंसी एवं सलाहकार के रूप में भी कार्य करता है तथा देश की साख मुद्रा पर नियंत्रण रखता है । केंद्रीय बैंक लाभ के उद्देश्य से काम नहीं करता है । विश्व का सबसे पहला केंद्रीय बैंक बैंक ऑफ इंग्लैंड है जिसकी स्थापना 1694 इसवी में की गई थी और भारत का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है, जिसकी स्थापना 1935 में हुई थी किसी भी देश की मौद्रिक एवं बैंकिंग व्यवस्था में केंद्रीय बैंक का महत्वपूर्ण स्थान होता है इसलिए बिल रोजर्स ने कहा है “समय के प्रारंभ में से तीन महान आविष्कार हुए हैं अग्नि चक्र तथा केंद्रीय बैंक” ।
प्रोफेसर कैंट के अनुसार – “केंद्रीय बैंक एक ऐसी संस्था है जिससे सार्वजनिक हित में मुद्रा की मात्रा में विस्तार एवं संकुचन का कार्य सौंपा गया है।“
केंद्रीय बैंक के कार्य
सभी देशों के केंद्र पर एक केंद्रीय बैंक होता है जिसके निम्नलिखित कार्य होते हैं –
(1) कागजी नोट जारी करना – सभी देशों में केंद्रीय बैंक को कागजी नोट जारी करने का एकाधिकार प्राप्त होता है । मुद्रा एवं साख की मात्रा पर नियंत्रण करने के लिए केंद्रीय बैंक को नोट जारी करने का अधिकार देना आवश्यक होता है । केंद्रीय बैंक की स्थापना के पूर्व कागजी मुद्रा जारी करने का अधिकार सभी बैंकों को था जिससे देश में पर्याप्त व्यवस्था से अधिक कागजी मुद्रा जारी कर दी जाती थी जिसके चलते देश की अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी । इसलिए इन बैंकों से यह अधिकार हटाकर केंद्रीय बैंक को दे दिया गया है ।
(2) बैंकों के बैंक का कार्य – देश के शीर्ष स्थान पर केंद्रीय बैंक होने के कारण अन्य सभी बैंकों के बैंक का कार्य करता है। जिस प्रकार व्यवसायिक बैंक जनता की विभिन्न प्रकार की सुविधाएं देते हैं उसी प्रकार केंद्रीय बैंक भी विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान करती है।
व्यवसायिक बैंक की भांति ही केंद्रीय बैंक के तीन प्रमुख कार्य पाए जाते हैं –
- व्यवसायिक बैंकों की रकम को अपने पास जमा रखना
- व्यवसायिक बैंकों के विनिमय बिलों को बट्टा करना
- मुद्रा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की सुविधा तथा समाशोधन गृह की सुविधा प्रदान करना
(3) सरकार का बैंक, एजेंट एवं सलाहकार – केंद्रीय बैंक सरकार के बैंकर एजेंट एवं सलाहकार के रूप में कार्य करता है । सरकार के बैंकर के रूप में केंद्रीय बैंक सरकार के लिए उन सब कार्यों को करता है जो व्यवसायिक बैंक प्राय जनता के लिए क्या करता है । सरकार को ऋण भी देता है सरकार के एजेंट के रूप में केंद्रीय बैंक सरकार की ओर से जनता से ऋण लेता है और उसे सरकार के खाते में जमा कर देता है । केंद्रीय सरकार की ओर से जनता से ऋण लेता है और उसे सरकार के खाते में जमा कर देता है । केंद्रीय बैंक सरकार के लिए सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय करता है कि वह सरकार के लिए विदेशी मुद्रा का भी क्रय विक्रय करता है । केंद्रीय बैंक सरकार की मौद्रिक एवं वित्तीय मामलों में सलाह भी रहता है
उदाहरण के लिए यह सरकार को बतलाता है कि देश की वर्तमान परिस्थिति में ऋण लेने के लिए अनुकूल है या नहीं है ।
(4) साख नियंत्रण का कार्य– व्यवसायिक बैंक देश में साख का सृजन कर उद्योग एवं व्यवसाय की सहायता करते हैं । लेकिन कभी-कभी बैंक आवश्यकता से अधिक साख का प्रसार करने लगते हैं तो कभी हुए आवश्यक मात्रा में साख का सृजन ही नहीं करते इससे या तो मुद्रास्फीति या मुद्रा संकुचन की परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है , तो देश में साख की मात्रा पर नियंत्रण करना आवश्यक है । साख नियंत्रण का यह कार्य केंद्रीय बैंक करता है ।
(5) देश के धातु कोष एवं विदेशी विनिमय कोष को सुरक्षित रखना – केंद्रीय बैंक देश के धातु कोष जिसमें सोने, चांदी का भंडार सम्मिलित है तथा विदेशी विनिमय कोष को सुरक्षित रखता है । पत्र मुद्रा के पीछे देश में सोने चांदी का कोष रखा जाता है । इसका संरक्षक केंद्रीय बैंक होता है। धातु कोष विदेशी विनिमय कोष के नियमन द्वारा मूल्य एवं विनिमय दर में स्थिरता लाने में मदद मिलती है ।
(6) समाशोधन गृह का कार्य – केंद्रीय बैंक देश में व्यवसायिक बैंकों के समायोजन गृह का कार्य करता है । जिससे बैंकों में पारस्परिक भुगतान केवल खाता परिवर्तन द्वारा ही संपन्न हो जाता है । बैंकों को मुद्रा की वास्तविक लेनदेन करने की आवश्यकता नहीं पड़ती इससे बैंकों को काफी सुविधा होती है ।
(7) मुद्रा के मूल्य को स्थिर रखना – देश में मुद्रा के मूल्य में परिवर्तन होने से वस्तुओं के मूल्य प्रभावित होते हैं । इससे मुद्रास्फीति या मुद्रा संकुचन का भय बना रहता है अतः देश को मुद्रा स्पीति या मुद्रा संकुचन से बचने के लिए मुद्रा के मूल्य में स्थायित्व लाना आवश्यक है । केंद्रीय बैंक देश में मुद्रा के मूल्य को स्थिर बनाए रखने की चेष्टा करता रहता है ।
(8) सरकार की मौद्रिक नीति को सफल बनाना – मौद्रिक नीति का संचालन केंद्रीय बैंक ही करता है । लेकिन उसका निर्धारण मुख्यतः सरकार के हाथों में ही रहता है । केंद्रीय बैंक सरकार की मौद्रिक नीति को सफल बनाने में सहायता करता है ।
उदाहरण के लिए युद्ध के समय यदि सरकार पत्र मुद्रा की राशि बढ़ाना चाहती है तो केंद्रीय बैंक अधिक नोटों को छापने का और साथ ही साथ इस बात को भी ध्यान रखेगा कि देश में मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखा जाए ।
(9) आंतरिक एवं विदेशी विनिमय दर में स्थिरता लाना – देशी एवं विदेशी व्यापार को सुचारू रूप से चलाने के लिए यह आवश्यक है कि देश की आंतरिक एवं विदेशी विनिमय दर में स्थिरता रहे । केंद्रीय बैंक आंतरिक एवं विदेशी विनिमय दर में स्थिरता लाने की चेष्टा करता है ।
(10) आर्थिक सूचनाएं तथा आंकड़े एकत्र करना – केंद्रीय बैंक आर्थिक सूचनाएं तथा आंकड़े एकत्रित करने का कार्य करता है । मूल्य, उत्पादन ,विदेशी विनिमय ,राष्ट्रीय आय, बैंकिंग एवं राजस्व संबंधी सूचनाएं एवं महत्वपूर्ण आंकड़े प्राय: केंद्रीय बैंक एकत्र करता है जिसके आधार पर आर्थिक प्रगति का मूल्यांकन किया जा सकता है । इनसे आर्थिक नियोजन के कार्यान्वयन में भी सहायता मिलती है।
निष्कर्ष के तौर पर हम यह कह सकते हैं कि केंद्रीय बैंकएक शीर्ष बैंक होने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था में मौद्रिक एवं बैंकिंग नीति को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भारत का केंद्रीय बैंक है ।रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम 1934 ई0 के तहत 1 अप्रैल 1935 ई0 में अधिकृत पूंजी से हुई थी । प्रारंभ में लगभग समस्त अंश पूंजी का स्वामित्व और गैर सरकारी अंशधारियों के पास था, किंतु अंश के कुछ हिस्से व्यापारियों के हाथों में केंद्रित होने से रोकने के लिए सरकार ने 1 जनवरी 1949 ईस्वी को रिजर्व बैंक कब इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया, और इसका पूर्ण नियंत्रण एवं स्वामित्व सरकार के हाथों में चला गया ।
रिजर्व बैंक के कार्य
भारत का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है । इसलिए एक केंद्रीय बैंक होने के कारण यह प्रायः सभी कार्य का संपादन करता है । रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कार्य को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है ।
- केंद्रीय बैंकिंग संबंधी कार्य
- साधारण बैंकिंग संबंधी कार्य
केंद्रीय बैंकिंग संबंधी कार्य
(a) पत्र मुद्रा जारी करना – रिजर्व बैंक को ₹1 के सिक्के, नोट तथा छोटे सिक्कों को छोड़कर भारत में विभिन्न मूल्य वर्ग के नोट जारी करने का अधिकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को प्राप्त है । रिजर्व बैंक सरकार के प्रतिनिधि के रूप में ₹1 के नोटों तथा सिखों एवं छोटे सिक्के का देश भर में वितरण का कार्य करता है ।
करेंसी नोट जारी करने के लिए वर्तमान में रिजर्व बैंक नोट का प्रचलन की न्यूनतम पद्धति निधि को अपनाता है । इस पद्धति के अंतर्गत रिजर्व बैंक के पास स्वर्ण एवं विदेशी ऋण पत्र कुल मिलाकर किसी भी समय 200 करोड़ रुपये के मूल्य से कम नहीं होनी चाहिए । इसमें स्वर्ण का मूल्य ( धातु तथा मुद्रा मिला के) 115 करोड़ रुपिया से कम नहीं होनी चाहिए, तथा ₹85 करोड़ की विदेशी प्रतिभूतियां होनी चाहिए । यह पद्धति रिजर्व बैंक ने 1957 के बाद अपनाई है ।
(b) सरकार का बैंक – रिजर्व बैंक का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य सरकार के बैंकर, एजेंट एवं सलाहकार के रूप में कार्य करता है । यह केंद्रीय बैंक तथा राज्य सरकारों की सभी बैंकिंग कार्य को संपन्न करता है तथा सरकार की आर्थिक एवं मौद्रिक नीति संबंधी मामलों में सलाह भी देता है । यह सरकार के लिए सार्वजनिक ऋण की व्यवस्था भी करता है ।
(c) बैंकों का बैंक – रिजर्व बैंक देश में अन्य बैंकों के लिए वही कार्य करता है जो अन्य बैंक अपने ग्राहकों के लिए करते हैं । यह व्यापारिक बैंकों का बैंकर ही नहीं बल्कि ऋणदाता भी है ।
(d) साख नियंत्रण – रिजर्व बैंक व्यापारिक बैंकों द्वारा निर्मित साख के मात्रा तथा दिशा पर नियंत्रण करने का कार्य भी संपन्न करता है । इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए परिमाणात्मक तथा गुणात्मक उपाय का उपयोग करता है ।
(e) विनिमय दर में स्थिरता लाना – रिजर्व बैंक रुपए की विनिमय दर में स्थिरता बनाए रखने का कार्य करता है । इसके लिए वह विदेशी विनिमय की खरीद बिक्री करता है । युद्ध कालीन तथा अन्य परिस्थितियों में रिजर्व बैंक के वाहिय मूल्य में स्थायित्व लाने के लिए सरकारी नीति के अनुसार विभिन्न तरीकों द्वारा विनिमय नियंत्रण का भी कार्य करता है ।
साधारण बैंकिंग संबंधी कार्य
(f) जमा स्वीकार करना – रिजर्व बैंक में केंद्रीय सरकार राज्य सरकार बैंकों तथा अन्य संस्थाओं से जमा स्वीकार करता है लेकिन उस पर ब्याज नहीं देता है यह निजी व्यक्तियों से जमा स्वीकार नहीं करता है ।
(g) ऋण देना – रिजर्व बैंक केंद्रीय सरकार तथा राज्य सरकार की मांग पर भुगतान किया जाने वाला ऋण तथा अधिक से अधिक 90 दिन की अवधि के लिए ऋण देता है । यह निजी व्यक्तियों को ऋण नहीं देता है ।
(h) ऋण लेना – यदि रिजर्व बैंक चाहे तो भारत के किसी भी अनुसूचित बैंक अथवा किसी विदेशी केंद्रीय बैंक से ऋण ले सकता है । इसके लिए शर्त यह है कि ऋण 30 दिनों से अधिक की अवधि के लिए नहीं होना चाहिए तथा इसकी रकम रिजर्व बैंक के हिस्से पूंजी से अधिक नहीं होना चाहिए ।
(i) व्यापारिक एवं वाणिज्यिक बिलों का क्रय विक्रय करना – रिजर्व बैंक भारत में लिखे गए व्यापारिक एवं वाणिज्य बिलो एवं प्रतिज्ञा पत्रों का क्रय विक्रय करता है और उनकी पुनः कटौती भी करता है । इसके लिए शर्त यह है कि बिल अधिक से अधिक 90 दिनों में परिपक्व होना चाहिए ।
(j) कृषि बिलों का क्रय विक्रय – रिजर्व बैंक भारत में लिखे गए अधिक से अधिक 15 महीने की अवधि किए कृषि बिलों का क्रय विक्रय करता है तथा उनकी पुनः कटौती भी करता है ।
(k) विदेशी प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय – रिजर्व बैंक भारत के बाहर दूसरे देशों की उन प्रतिभूतियों की खरीद बिक्री कर सकता है जिसका भुगतान खरीदने की तारीख से 10 वर्षो के अंदर ही हो जाता है।
(l) बहुमूल्य धातुओं का क्रय विक्रय – रिजर्व बैंक सोना चांदी तथा सोने के सिक्के की भी खरीद बिक्री करता है ।
(m) सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय – रिजर्व बैंक केंद्रीय तथा राज्य सरकारों की प्रतिभूतियों का भी क्रय विक्रय करता है ।
(n) बैंक ड्राफ्ट जारी करना – रिजर्व बैंक अपनी शाखाओं पर बैंक ड्राफ्ट भी जारी करता है ।
(o) विदेशी केंद्रीय बैंकों एवं संस्थाओं से व्यवहार – रिजर्व बैंक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य राष्ट्रों के केंद्रीय बैंकों में खाता खोल सकता है उनसे एजेंसी का संबंध स्थापित कर सकता है उसे एजेंट के रूप में कार्य कर सकता है तथा अंतरराष्ट्रीय बैंक की साथ लेनदेन कर सकता है ।
संभावित प्रश्न
01)व्यवसायिक बैंक क्या है ?
02) व्यवसायिक बैंक के कौन-कौन से खाते के प्रकार होते हैं ?
(03) बैंक से लोन प्राप्त करने कीक्या प्रक्रिया है ?
(04) ब्याज दर कैसे निर्धारित की जाती है ?
(05) भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई थी ?
(06) आरबीआई का मुख्यालय कहां अवस्थित है ?
(07) भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं ?
(08) भारतीय रिजर्व बैंक का मौद्रिक नीति पर क्या भूमिका होती है?