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बैंक ,व्यवसायिक बैंक , व्यवसायिक बैंकों के कार्य

बैंक – BANK

बैंक  (BANK)  उस वित्तीय संस्था को कहते है जो जनता से धनराशी जमा करने तथा जनता को ऋण देने का काम करता है। लोग अपनी अपनी बचत की राशी को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज प्राप्त करने हेतु इन संथाओ में जमा करते है और आवास्क्ताओ के अनुशार समय समय पर निकालते रहते है ।

वाल्टर लाफ के अनुसार“ बैंक वह व्यक्ति या संस्था है जो सर्वदा जनता से जमा के रूप में मुद्रा लेने को तैयार रहें जिससे वह जमा कर्ताओं के चेकों द्वारा वापस करें ।“

किनले के अनुसार –“ बैंक एक ऐसी संस्था है जो सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसे व्यक्तियों को ऋण देती है जिन्हें इसकी आवश्यकता रहती है और जिसके पास व्यक्ति अपनी अतिरिक्त मुद्रा जमा करने हैं ।“

व्यवसायिक बैंक

बैंक या बैंकिंग कंपनी वह कंपनी है जो ऋण देने अथवा विनियोग करने के लिए जनता से जमा के रूप में मुद्रा स्वीकार करती है जिससे मांग अथवा अन्य प्रकार से चेक ड्राफ्ट आदि के द्वारा निकाला जा सकता है ।

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर बैंक के कुछ प्रमुख कार्य का स्पष्टीकरण होता है जैसे मुद्रा जमा करना, मुद्रा को उधार देना, जमा करने वाले को चेक अथवा अन्य साख पत्रों के द्वारा मुद्रा निकालने की सुविधा प्रदान करना तथा साख का लेनदेन करना ।

साधारणत: बैंक शब्द का प्रयोग व्यवसायिक बैंक के अर्थ में ही किया जाता है अतः बैंक की उपयुक्त परिभाषा की व्यवसायिक बैंकों की परिभाषा है ।

व्यवसायिक बैंकों के कार्य

किसी भी देश की बैंकिंग प्रणाली में व्यवसायिक बैंकों का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है जिनके कार्य निम्नलिखित हैं-

(A) जमा प्राप्त करना

(B) ऋण  देना

(C) सामान्य उपयोगिता संबंधी का कार्य  

(D) एजेंसी के कार्य     

(A) जमा प्राप्त करना

व्यवसायिक बैंकों का सबसे महत्वपूर्ण एवं मौलिक कार्य जनता से जमा प्राप्त करना है जनता जब अपने आय के हिस्से को पसंद करती है तो उसे बचत की राशि को बैंक के पास जमा करती है उसके बदले में जनता से प्राप्त जमा पर बैंक कुछ ब्याज भी देते हैं तथा इसी जमा की रकम को अधिक ब्याज की दरों पर कर्ज देकर मुनाफा प्राप्त करता है ।

व्यवसायिक खातों में निम्नलिखित चार प्रकार के खातों में रकम जमा करते हैं ।

(1) स्थाई जमा खाता – स्थाई जमा खाते में बैंक एक निश्चित अवधि के लिए रकम जमा करते हैं । इस अवधि के पूर्व इस खाते से रकम नहीं निकाली जा सकती है रकम जमा करते समय जमा करता को एक रसीद दी जाती है । जिससे स्थाई जमा रसीद कहते हैं ।
(2) चालू खाता (Current Account)  – चालू जमा खाता में रकम जमा करने एवं निकालने में किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं रहता है । इस खाते में दिन में कई बार चेक द्वारा रकम निकाली जा सकती है और जमा भी किया जा सकता है । इसलिए चालू जमा को मांग पर जमा भी कहते हैं । बैंक जमा कर्ता को एक पासबुक एवं चेक बुक प्रदान करता है । पासबुक के अंदर जमा एवं निकासी की गई राशि का विवरण अंकित किया जाता है । इस खाते में जमा की गई रकम पर नाम मात्र का ब्याज दिया जाता है अर्थात बहुत कम ब्याज दर दिया जाता है । कुछ देशों जैसे अमेरिका में चालू खातों पर ब्याज दर देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है ।
(3) बचत बैंक खाता (Saving Bank Account) – बचत बैंक खाते में प्राय कम आय वाले लोग छोटी छोटी रकम में मुद्रा जमा करते हैं । इस खाते में रकम जमा करने पर कोई प्रतिबंध नहीं रखता है । कोई भी व्यक्ति जब चाहे तब खाता खोल सकता है तथा किसी भी दिन धन को जमा कर सकता है । बचत बैंक खाते में रकम जमा करने पर ही जमा कर्ता को पासबुक, चेक बुक तथा एटीएम की सुविधा देता है । इस खाते में जमा रकम पर ब्याज मिलती है लेकिन इसकी दर स्थाई जमा खाते से कम एवं चालू खाता से अधिक होती है।
(4) गोलाक खाता (Home Safe Account) आजकल बैंक ने बच्चों में बचत की आदत डालने के लिए इस प्रकार के खाते की प्रारंभ किया गया है । गोलक  खाता खोलने वालों को बैंक की तरफ से बैंक का ताला लगा हुआ है छोटा सा बक्सा दिया जाता है । बक्सा में पैसा डालने के लिए छोटा सा छेद बना रहता है जिससे बच्चे घर पर रखकर पैसा डालते रहते हैं ।  1 या 2 सप्ताह बाद बक्सा को बैंक में ले जाया जाता है और जमा कर्ताओं के उपस्थिति में ही बैंक का कर्मचारी ताला को खोल कर पैसे को गिन कर गोलक  खाते में जमा कर देते हैं । गोल खाते में जमा रकम पर थोड़ा सा ब्याज भी दिया जाता है जिससे बच्चों को बचत करने में प्रोत्साहन मिलता है ।

(B) ऋण देना

व्यवसायिक बैंक उपरोक्त खातों में जो जमा की रकम प्राप्त करते हैं उसे विभिन्न उत्पादक कार्यों के लिए अपने ग्राहकों को ऋण के रूप में देते हैं बैंकों को दो बातों पर विशेष ध्यान देते हैं पहला तरलता और दूसरा लाभदायक ।तरलता से तात्पर्य है कि बैंक अपनी कुल जमा का एक निश्चित भाग नगद के रूप में रखता है ताकि वह अपने ग्राहकों के नगद की मांग को पूरा कर सकें एवं लाभदायकता का मतलब यह है कि बैंक अपने साधनों से अधिक से अधिक आय प्राप्त कर सकें ।

व्यवसायिक बैंक निम्नलिखित तरीकों से ऋण देता है –

(a) अधिविकर्ष – व्यवसायिक बैंक अधिविकर्ष की सुविधा चालू खाता ग्राहकों को प्रदान करती है । बैंक अपने ग्राहकों को चालू खाता में जमा रकम से भी अधिक रकम निकालने की अनुमति प्रदान करती है तो इसे अधिविकर्ष की सुविधा कहते हैं ।

मान लिया जाए कि बैंक में ₹15000 जमा किए हैं लेकिन बैंक ने उससे ₹25000 निकालने का अधिकार दिया है । इस प्रकार जमा की गई रकम से ₹10000 अधिक निकालने का अधिकार उस व्यक्ति को दिया है इसी अतिरिक्त को अधिविकर्ष कहा जाता है ।

(b) नगद साख – जब व्यवसायिक बैंक अपने ग्राहकों को व्यापारी माल की जमानत के आधार पर ऋण देते हैं तो उससे नगद साख कहते हैं । नगद साख के अंतर्गत जमानत पर दिए गए माल को बैंक अपने गोदाम में रख लेता है और ऋण की रकम लौटाने पर उसे लौटा देता है ।

(c) ऋण एवं अग्रिम – जब बैंक अपने ग्राहकों से उचित जमानत लेकर एक पूर्ण निश्चित अवधि के लिए ऋण देता है तो उसे ऋण अथवा अग्रिम कहते हैं । ऋण एवं अग्रिम के रूप में सोने चांदी के आभूषण, सरकारी प्रतिभूतियों, कंपनियों के हिस्से, बीमा की पॉलिसी, स्थाई जमा खाते की रसीद आदि के आधार पर लिए जा सकते हैं ।

(d) विनिमय बिलो अथवा हुन्ड्दियो का बट्टा करना – व्यवसायिक बैंक विभिन्न प्रकार के विभिन्न बिलों तथा उन हुन्ड्दियो का बट्टा करके भी व्यापारियों को ऋण देते हैं विनिमय बिल तथा हुन्ड्दियो वे साख पत्र हैं जिन्हें उधार माल बेचने पर विक्रेता के नाम लिखता है विनिमय बिल में विक्रेता एक निश्चित अवधि के बाद एक निश्चित रकम की मांग करता है । क्रेता इस बिल को स्वीकार कर विक्रेता के पास लौटा देता है ।

जिसके बाद वह विनिमय बिल एक विनिमय साध्य पत्र हो जाता है ।बैंक बिल को उसकी पूरी अवधि तक अपने पास रख कर क्रेता से अवधि की समाप्ति पर बिल की रकम वसूल करता है ।

(e) याचना तथा अल्प सूचना ऋण – जब बैंक अति अल्प अवधि के लिए अपने ग्राहकों को ऋण देते हैं तो उसे याचना तथा अल्प सूचना ऋण कहते हैं । यह ऋण प्राय 3 दिन से लेकर 10 दिन तक के लिए दिया जाता है । कभी-कभी तो यह ऋण शाम को लेकर सुबह को वापस कर दिया जाता है । इस प्रकार के ऋण में ब्याज दर काफी कम लिया जाता है ।

(C) सामान्य उपयोगिता संबंधी कार्य

व्यवसायिक बैंक के कुछ और भी कार्य है जिसे हम सामान्य उपयोगिता संबंधी कार्य के नाम से जानते हैं –

(1) विदेशी विनिमय का क्रय विक्रय – व्यवसायिक बैंक विदेशी मुद्रा के क्रय विक्रय का काम विदेशी विनिमय बैंकों को सौंपा गया है । भारत में इस कार्य को करने का अधिकार कुछ व्यवसायिक बैंकों को भी दिया गया है ।

(2) बहुमूल्य वस्तुओं की सुरक्षा – व्यवसायिक बैंक बहुमूल्य वस्तुएं जैसे सोना चांदी आभूषण, महत्वपूर्ण दस्तावेज या अन्य कीमती वस्तु आदि रखने के लिए हमें लॉकर की सुविधा प्रदान करते हैं । इन वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए बैंकों में लॉकर होते हैं जिन्हें ग्राहक किराए पर ले सकते हैं । लॉकर की चाबी  ग्राहकों के पास होती है और वह अपनी इच्छा अनुसार लॉकर में बहुमूल्य वस्तुएं रख सकते हैं या निकाल सकते हैं ।

(3) वित्तीय  मामलों के संबंध में सलाह देना – व्यवसायिक बैंक अपने ग्राहकों को वित्तीय मामलों मैं सलाह भी देते हैं । उदाहरण के लिए वह अपने विभिन्न प्रकार के कंपनियों के शेयर खरीदने आदि मामले में सलाह देता है ।

(4) ग्राहकों को दूसरों की साख के बारे में जानकारी देना – व्यवसायिक बैंक विभिन्न व्यक्तियों की साख के संबंध में जानकारी रखते हैं । अतः वे अपने ग्राहकों को दूसरों की साख के बारे में जानकारी देते हैं । जिससे आपसी लेनदेन में सुविधा होती है तथा जोखिम में भी कमी होती है ।

(5) साख प्रमाण पत्र एवं साख पत्रों को जारी करना- व्यवसायिक बैंक अपने ग्राहकों के लिए साख प्रमाण पत्र एवं यात्री चेक जारी करते हैं । साख प्रमाण पत्र विदेशी व्यापार में सहायक होते हैं तथा उनके आधार पर ग्राहकों को अपरिचित व्यक्तियों से भी उधार मिल जाता है । यात्री चेक एवं विदेशी यात्रियों के लिए अत्यंत लाभदायक होते हैं क्योंकि इसकी सहायता से किसी भी जगह देशी या विदेशी मुद्रा प्राप्त की जा सकती है ।

(D) एजेंसी के कार्य

(1) प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय- व्यवसायिक बैंक अपने ग्राहकों के आदेशानुसार प्रतिभूतियों का एक कंपनियों के शेयरों का क्रय विक्रय करती है ।

(2) ग्राहकों की ओर से भुगतान का काम करना – बैंक अपने ग्राहकों की ओर से बीमा के प्रीमियम, ऋण की किस्ते, कर, किराए आदि का भुगतान करते हैं ।

(3) ग्राहकों के लिए भुगतान प्राप्त करना – बैंक अपने ग्राहक के आदेशानुसार उनके लिए लाभांश, किराया, ब्याज आदि एकत्रित कर उनके खाते में जमा कर देते हैं ।

(4) चेक एवं अन्य साख पत्रों के भुगतान को इकट्ठा करना – बैंक अपने ग्राहकों को चेक, बिल, ड्राफ्ट आदि का भुगतान भी एकत्रित कर उनके खाते में जमा कर देते।

(5) प्रतिनिधि के समान कार्य करना – व्यवसायिक बैंक अपने ग्राहकों के लिए विभिन्न प्रकार के लेनदेन एक प्रतिनिधि के समान कार्य करते हैं ।

उपर्युक्त व्यवसायिक बैंकों के कार्य को देखने से यह स्पष्ट होता है कि आज की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार के व्यवसाय उद्योग पतियों आदि के लिए व्यवसायिक बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।

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