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मांग की लोच / Elasticity of Demand

मांग की लोच

( Elasticity of Demand )

(1).मांग की लोच से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- वस्तु की कीमत ,उपभोक्ता की आय एवं सम्बंधित वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन के फलस्वरूप वस्तु की मांग मात्रा में कितना परिवर्तन होगा इसको बताने वाली माप को मांग की लोच कहते हैं |

मांग की लोच की धारणा को विकसित करने का श्रेय प्रोo मार्शल को जाता है उन्होंने 1890 में प्रकाशित अपनी बहुचर्चित पुस्तक “PRINCIPLES OF ECONOMICS में इसकी विस्तृत रूप से व्याख्या की है |

यह मुख्यत: तीन प्रकार की होती हैं :-

i.मांग की कीमत लोच (price elasticity of demand )

ii.मांग की आय लोच (income elasticity of demand )

iii.मांग की आड़ी लोच (CROSS elasticity of demand )

(2. मांग की कीमत लोच से आप की समझते हैं ?

उत्तर- कीमत में परिवर्तन होने पर  वस्तु की मांग मात्रा में में कितना परिवर्तन होगा इसको बताने वाली माप को मांग की कीमत लोच कहते हैं |

इस धारणा को विकसित करने में प्रोo मार्शल का काफी महत्वपूर्ण योगदान है उनके अनुसार मांग की कीमत लोच वास्तव में  मांग मात्रा में होने वाली प्रतिशत परिवर्तन एवं कीमत में होने वाली प्रतिशत  परिवर्तन का अनुपात होती है जिसे निम्न सूत्र की सहायता से ज्ञात किया जा सकता है :

मांग की कीमत लोच = 

3.मांग की लोच की कितनी श्रेणियां होती हैं ?

उत्तर- मांग की लोच की मुख्यत: पांच श्रेणियां होती हैं जो निम्नलिखित हैं :-

(i).मांग की लोच इकाई के बराबर ( Ed = 1 ) :- कीमत में जितना परिवर्तन होता है उतना ही परिवर्तन यदि वस्तु की मांग मात्रा में भी हो तो ऐसी स्थिति में मांग की लोच इकाई के बराबर होगी |

रेखाचित्रानुसार – Area of PP1MN = Area of  QQ1SN अत: Ed = 1 होगी |

(ii).मांग की लोच इकाई से अधिक(Ed >1 ) :- कीमत में जितना परिवर्तन होता है वस्तु की मांग मात्रा में यदि  उससे अधिक परिवर्तन हो तो मांग की लोच इकाई से अधिक होगी |

चित्रानुसार – Area of QQ1SN > Area of PP1MN अत: Ed >1 होगी |

(iii).मांग की लोच इकाई से कम (Ed<1 ) :-कीमत में जितना परिवर्तन होता है वस्तु की  मांग मात्रा में यदि  उससे कम परिवर्तन हो तो मांग की लोच इकाई से कम होगी |

चित्रानुसार Area of QQ1NS < Area of PP1MN अत: Ed<1 होगी |

(iv).पूर्णत: लोचदार मांग (Ed = ):- कीमत में नगण्य या थोड़ा सा भी परिवर्तन होने पर यदि  वस्तु की मांग मात्रा में बहुत ज्यादा परिवर्तन देखने को मिले तो ऐसी स्थिति में मांग की लोच पूर्णता: लोचदार होगी |

अर्थात   =

रेखाचित्र में – मांग वक्र DD को X अक्ष के सामानांतर खींचा गया है जो कि कीमत में थोड़ा सा भी परिवर्तन होता है तो  वस्तु की मांग मात्रा में भी बहुत ज्यादा परिवर्तन होने की दशा को दिखा रही है| वास्तव में यह एक काल्पनिक दशा है क्योंकि वास्तविक जिंदगी में इस प्रकार की स्थिति देखने को नहीं मिलती है |

(v).पूर्णत: बेलोचदार मांग ( Ed= 0 ) :- कीमत में परिवर्तन होने पर भी यदि वस्तु की मांग मात्रा में कोई परिवर्तन ना हो तो मांग की लोच पूर्णत: बेलोचदार होगी |

                 रेखाचित्र में मांग वक्र DD को X अक्ष पर लम्बवत खींचा गया है जो हमें स्पष्ट रूप से बताती है कि कीमत में कमी अथवा  वृद्धि होने पर भी वस्तु की मांग मात्रा 100 इकाई के बराबर ही  स्थिर बनी रहती है|अर्थात यह पूर्णता: बलोचदार की दशा को स्पष्ट कर रही है |  इसे काल्पनिक ना मान कर  कर वास्तविक  माना गया है क्योंकि वास्तविक जिंदगी में इस प्रकार की दशा थोड़ी बहुत कहीं- कहीं  देखने को अवश्य मिलती है |

  1. मांग की लोच मापने की प्रतिशत /आनुपातिक विधि पर संक्षिप्त टिपण्णी लिखें?

उत्तर – मांग की लोच मापने की प्रतिशत /आनुपातिक विधि का प्रतिपादन प्रो फ्लक्स  ने किया था उनके अनुसार इस विधि के अंतर्गत मांग की लोच मापने लिए मांग मात्रा  में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन को कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन से भाग कर दिया जाता है |

अर्थात –      जहाँ –

(5). मांग की लोच मापने की बिंदु रीति/ ज्यामितीय विधि  क्या है ?

उत्तर – मांग की लोच मापने की विन्दु रीति का प्रयोग मांग वक्र पर स्थित किसी बिंदु की मांग की लोच ज्ञात करने के लिए की जाती है |

वास्तव में मांग वक्र पर स्थित विभिन्न बिन्दुओं की मांग की लोच एक समान नहीं होती है बल्कि अलग –अलग होती है |अत: किसी बिंदु की मांग की लोच ज्ञात करनी है तो इसके लिए मांग वक्र पर स्थित कोई  एक बिंदु को आधार मानते हुए मांग वक्र को दो हिस्सों में बाँट लिया जाता है एक उपरी हिस्सा तथा दूसरा निचला हिस्सा  |और फिर निचले हिस्से को उपरी हिस्सा से भाग कर दिया जाता है |

इस विधि  के अंतर्गत मांग वक्र पर स्थित विभिन्न बिन्दुओं की मांग की लोच ज्ञात करने के लिए मांग वक्र को एक सरल रेखा के रूप में खींच ली जाती है  फिर उसकी सहायता से  मांग की लोच की विभिन्न श्रेणियों को जानकारी प्राप्त की जाती है | जिसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है |-

उपर्युक्त रेखाचित्र में AB एक मांग वक्र है जिस पर A,L,M,N तथा B बिन्दुएँ स्थित हैं तथा जिसमे बिंदु M को मध्य बिंदु के रूप में मान लिया गया है |जिसके आधार पर निम्नलिखित बातें स्पष्ट होती हैं :-

  1. बिंदु M मांग वक्र AB का मध्य बिंदु है अत: AM=MB होगी इसलिए Ed=1 होगी |
  2. बिंदु L की स्थिति में LB( मांग वक्र का निचला भाग ) > AL ( मांग वक्र का उपरी भाग ) अत: Ed >1 होगी |
  3. बिंदु N की स्थिति में NB( मांग वक्र का निचला भाग ) < AN ( मांग वक्र का उपरी भाग ) अत: Ed <1 होगी
  4. बिंदु A पर AB ( मांग वक्र का निचला भाग) एक संख्यात्मक मान के रूप में है जबकि A ( मांग वक्र का उपरी भाग )=0 है अत: Ed= होगी |
  5. बिंदु B पर BA( मांग वक्र का उपरी भाग) एक संख्यात्मक मान के रूप में है जबकि B=0 ( मांग वक्र का निचला भाग ) है अत: Ed = 0 होगी |

निष्कर्षत: हम कह सकते हैं कि यदि मांग की लोच मापने की बिंदु रीति के तहत मांग की लोच ज्ञात करना है तो इसके  लिए मांग वक्र के निचले हिस्से को मांग वक्र के उपरी हिस्से से भाग कर देनी होगी |

6). मांग की लोच मापने की कुल व्यय विधि ( TOTAL EXPENDITURE METHOD ) की विवेचना करें ?

उत्तर – मांग की लोच मापने की कुल व्यय विधि का प्रतिपादन प्रो० मार्शल ने किया था इस विधि के अंतर्गत मांग की लोच ज्ञात करने के लिए सबसे पहले कीमत में परिवर्तन होने से  कुल व्यय पर क्या प्रभाव पड़ता है इसका आकलन किया जाता है | जिसके आधार पर बाद में मांग की लोच की  विभिन्न श्रेणियों का पता लगाया जाता है |

परन्तु इस विधि के अंतर्गत मांग की लोच की जानकारी प्राप्त करनी है तो इसके लिए निम्न तीन स्थितियों का ज्ञान होना आवश्यक है :-

उपर्युक्त रेखाचित्र में ABCD को  एक कुल व्यय वक्र के रूप में मान लिया गया है |जिसके आधार पर ऊपर के तीनों बिन्दुओं को स्पष्ट किया जा सकता है जो निम्नवत हैं :-

(a ) कुल व्यय वक्र ABCD का BC भाग X अक्ष पर लम्बवत है जो यह बताती है कि कीमत P2 तथा P3 रहने पर भी कुल व्यय में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है अत: यहाँ पर मांग की लोच E = 1 होगी |

(b) कुल व्यय वक्र ABCD का AB भाग बायें से दांयें नीचे गिर रही है अर्थात ऋणात्मक ढाल वाली है जिसके कारण जब कीमत P3 से बढ़कर P4 हो जाती है तो कुल व्यय घटने  लगती  है इसके विपरीत जब कीमत घटकर P4 से P3 हो जाती है तो कुल व्यय बढ़ने लगती  है अर्थात दोनों एक दुसरे के विपरीत व्यवहार करती हैं  अत:यहाँ पर मांग की लोच E > 1 होगी |

(c) कुल व्यय वक्र ABCD का DC भाग धनात्मक ढाल वाली है जिसके कारण  जब कीमत बढ़कर P1 से P2 हो जाती है तो कुल व्यय भी बढ़ जाती है इसके विपरित जब कीमत घटकर P2 से P1 हो जाती है तो कुल व्यय भी घटने लगती है | अत: इस स्थिति में मांग की लोच E<1होगी |

निष्कर्षत: हम कह सकते हैं कि इस विधि के अंतर्गत यदि मांग की लोच ज्ञात करनी है तो इसके लिए हमें कीमत में परिवर्तन होने पर कुल व्यय में क्या परिवर्तन देखने को  मिलेगा इसकी जानकारी प्राप्त करनी होगी |

  1. मांग की लोच को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें |

उत्तर- मांग मात्रा में कितनी कमी या वृद्धि होगी यह कई कारकों पर निर्भर करती है जो निम्नवत है :-

इस प्रकार स्पष्ट है मांग की लोच कई कारकों से प्रभावित होती है लेकिन स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा जा सकता कि कौन सी कारक मांग की लोच को ज्यादा प्रभावित करती है क्योंकि यह मूल रूप से परिस्थितियों पर भी निर्भर करती है |

  1. मांग की लोच तथा मांग का नियम में क्या अंतर है?

उत्तर :- मांग की लोच तथा मांग का नियम में निम्नलिखित अंतर है :-

 

    मांग की लोच

  मांग का नियम

i. यह  कीमत ,आय एवं सम्बंधित वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन होने पर मांग मात्रा में  कितना परिवर्तन आएगा उसको मापने के  कार्य को संभव बनाती  है i. यह केवल  कीमत में परिवर्तन होने पर   मांग के बढ़ने एवं घटने की प्रवृति को दर्शाती है |
ii. यह एक  परिमाणात्मक कथन है | ii.यह एक गुणात्मक कथन है
iii. यह मांग मात्रा में होने वाले परिवर्तन को  सामान्यत: धनात्मक एवं ऋणात्मक रूप में मापती है iii.यह केवल कीमत तथा मांग के बीच के विपरीत सम्बन्ध को दर्शाती है

 

 

 

 

 

 

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