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राष्ट्रीय आय की धारणाएं / राष्ट्रीय आय का मापन

राष्ट्रीय आय की धारणाएं

(01).  अंतिम वस्तुओं (FINAL GOODS) से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर वे वस्तुए जो उत्पादन प्रक्रिया को पार कर चुकी होती हैं और जो  उपभोक्ता या  उत्पादक द्वारा अंतिम रूप से उपभोग( FINAL USE) किये जाने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो चुकी होती हैं  उन्हें अंतिम वस्तुएं कहा जाता है | जैसे – मोबाइल फोन , कलम ,बैग ,बाइक ,स्कूटी ,जींस फैंट ,ट्रेक्टर,भारी मशीन  इत्यादि |

(02). मध्यवर्ती वस्तुओं (INTERMEDIATE GOODS) से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर वे वस्तुएं जो उत्पादन प्रक्रिया के अधीन होती हैं और जो उपभोक्ता या उत्पादक द्वारा अंतिम रूप से उपभोग किये जाने के लिए पूर्ण रूप से तैयार नहीं की गई होती  हैं उन्हें मध्यवर्ती वस्तुएं कहा जाता है |जैसे :- कच्चा माल( RAW MATERIAL) , गेहूं ,लकड़ी ,इत्यादि |

(03). मध्यवर्ती वस्तुओं  एवं अंतिम वस्तुओं में क्या अंतर है ?

उत्तर मध्यवर्ती वस्तुओं एवं अंतिम वस्तुओं में निम्नलिखित अंतर है :-

       मध्यवर्ती वस्तु

       अंतिम वस्तु

i. यह उत्पादन प्रक्रिया के अधीन होती है| i.यह उत्पादन प्रक्रिया को पार कर चुकी होती है |
ii.इनका प्रयोग अन्य वस्तुओं को बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में होता है | ii.इनका प्रयोग कच्चे माल के रूप में नहीं होता |
iii. इनका उपभोग अंतिम रूप से नहीं किया जाता | iii.इनका उपभोग अंतिम रूप से किया जा सकता है |
iv.लाभ कमाने के  लिए कम्पनियाँ / फर्म इनको फिर से बेच देती हैं | iv.इन्हें सामान्यत: फिर से नहीं बेचा जाता है  |
v.इन पर किये जाने वाले खर्चों को मध्यवर्ती उपभोग / मध्यवर्ती लागत कहा जाता है | v.इन पर किये जाने वाले खर्चों को अंतिम व्यय( FINAL EXPENDITURE) कहा जाता है
vi.राष्ट्रीय आय की गणना में इनको शामिल नहीं किया जाता है | vi .राष्ट्रीय आय की गणना में इन्हें शामिल कर लिया जाता है |

 

(04). साधन आय ( FACTOR INCOME )क्या है ?

उत्तर उत्पत्ति के साधनों को उत्पादन में योगदान के बदले जो पुरस्कार ( रुपया ) प्रदान किया जाता है उसे साधन आय कहते हैं | जैसे :- मजदूर को मजदूरी प्राप्त होना |

(05). साधन लागत (FACTOR COST) क्या है ?

उत्तर  उत्पादन कार्य को संपन्न करने के लिए उत्पत्ति के साधनों पर उत्पादक को जो खर्च करना पड़ता है उसे साधन लागत कहते हैं | जैसे :- उत्पादक द्वारा मजदूर को मजदूरी प्रदान करना |

(06). हस्तांतरण भुगतान (TRANSFER PAYMENT) क्या है ?

उत्तर वह भुगतान जो एक व्यक्ति को उत्पादन कार्य में भाग लिए बिना प्राप्त होती है उसे हस्तांतरण भुगतान कहते हैं | जैसे :- वृद्धावस्था पेंशन , बेरोजगारी भत्ता , छात्रवृत्ति |

(07). मूल्यह्रास / घिसावट व्यय ( DEPRECIATION) क्या है ?

उत्तर उत्पादन के स्थायी परिसम्पतियाँ( प्लांट एवं भारी मशीन ) का लगातार प्रयोग  होने  के कारण जब इनका मूल्य कम हो जाता है तो उसे मूल्यह्रास कहते हैं |

यह स्थिति  मुख्यत: निम्न तीन कारणों से उत्पन्न होती है :-

  1. a) सामान्य टूट – फूट के कारण
  2. b) दुर्घटना से होने वाली क्षति के कारण
  3. c) मशीनों का पुराना हो  जाने कारण
(08). विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय ( NET FACTOR INCOME FROM ABROAD) से आप क्या समझते हैं

उत्तर देशवासियों द्वारा विदेशों से प्राप्त साधन आय एवं विदेशियों द्वारा देश में प्राप्त साधन आय के अंतर को विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय कहते हैं |

अर्थात – विदेशों से प्राप्त साधन आय = देशवासियों द्वारा विदेशों से प्राप्त साधन आय – विदेशियों द्वारा देश में प्राप्त साधन आय |

(09). सामान्य निवासी ( NORMAL RESIDENTS) से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर  सामान्य निवासी का तात्पर्य उन लोगों से  है जो किसी  देश में एक साल से अधिक समय से रह रहे  हैं  और जिनकी  आर्थिक रूचि/ हित केवल उसी देश के साथ जुड़ी हुई है |

इसके अंतर्गत एक विदेशी को भी शामिल किया जा सकता है यदि वह ऊपर के दोनों शर्तों को पूरा  करता हो  |

(10). घरेलू  आय( DOMESTIC INCOME)  क्या है?

उत्तर एक लेखा वर्ष के दौरान देश की घरेलू सीमा(DOMESTIC TERRITORY) के अंतर्गत  देश के सभी उत्पादकों ( सामान्य निवासी + गैर –निवासी ) द्वारा जितना भी  साधन आय का सृजन किया जाता है उसके कुल योग को घरेलू आय कहते हैं |

(11). राष्ट्रीय आय (NATIONAL INCOME) क्या है ?

उत्तर एक लेखा वर्ष के दौरान देश के सामान्य निवासियों द्वारा जितना साधन आय की कमाई की जाती है उसके कुल योग को राष्ट्रीय आय कहते हैं |

राष्ट्रीय आय ज्ञात करने के लिए सामान्यत: शुद्ध घरेलू आय ( NDPfc) में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को जोड़ दिया जाता है |

अर्थात , राष्ट्रीय आय = NDPfc + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय

or, राष्ट्रीय आय =( लगान + मजदूरी + वेतन + ब्याज + लाभ) + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय

or, NNPfc = NDPfc + NFIA ( विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय )

(12). बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ( GDPmp) क्या है ?

उत्तर एक लेखा वर्ष के दौरान देश की घरेलू सीमा  ( DOMESTIC TERRITORY) के अंतर्गत सभी उत्पादकों द्वारा  जितनी भी अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन होता है उनके बाज़ार कीमत के योग को GDPmp कहते हैं |

अर्थात , GDPmp = एक लेखा वर्ष में  देश की घरेलू क्षेत्र  में  उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाज़ार मूल्य का योग |

(13). बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद( GNPmp) क्या है ?

उत्तर एक लेखा वर्ष के दौरान देश की घरेलू सीमा के साथ – साथ  विदेशी क्षेत्र में देश के सामान्य निवासियों द्वारा जितनी भी अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन होता है उनके  बाज़ार मूल्य  के योग को GNPmp कहते हैं |

जिसे हम निम्न सूत्र की सहायता से ज्ञात कर  सकते हैं :-

GNPmp = GDPmp + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय

(14). साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद( GDPfc) क्या है ?

उत्तर एक लेखा वर्ष के दौरान देश की घरेलू सीमा ( DOMESTIC TERRITORY)  के अंतर्गत   सभी उत्पादकों को  अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करने पर साधन लागत के रूप जो खर्च करना पड़ता है उसके कुल योग को GDPfc कहते हैं | इसमें मूल्यह्रास भी शामिल रहती है |

अर्थात , GDPfc = (लगान + मजदूरी + वेतन + ब्याज + लाभ ) + मूल्यह्रास

or  GDPfc = NDPfc + मूल्यह्रास

(15). साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद ( GNPfc) क्या है ?

उत्तर एक लेखा वर्ष के दौरान देश के सामान्य निवासियों को अंतिम वस्तुओ एवं सेवाओं के उत्पादन में भाग लेने पर साधन आय के रूप में जो  कुल आय प्राप्त होती है उसे  GNPfc कहते हैं | |

इसे ज्ञात करने के लिए  GDPfc में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को जोड़ दिया जाता है|

अर्थात ,GNPfc = GDPfc + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय

(16). GDP तथा GNP में क्या अंतर है ?

उत्तर GDP तथा GNP में निम्नलिखित अंतर है :-

        GDP

   GNP

I. यह  देश की घरेलू सीमा में उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाज़ार मूल्य का योग होती है | I.यह देश के सामान्य निवासियों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाज़ार मूल्य का योग होती है |
II. इसका सम्बन्ध केवल  देश की घरेलू क्षेत्र से है | II.इसका सम्बन्ध देश की घरेलू क्षेत्र  के साथ –साथ विदेशी क्षेत्र से भी है |
III.इसमें देशवासी एवं विदेशी दोनों के योगदान को शामिल किया जाता है | III. इसमें केवल सामान्य निवासियों के योगदान को शामिल किया जाता है |
IV.इसमें विदेशो से प्राप्त शुद्ध साधन आय शामिल नहीं रहती है | IV.इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय आवश्यक रूप से शामिल रहती है
V. GDP = GNP – NFIA V. GNP = GDP + NFIA
(17).टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं  (DURABL CONSUMPTION GOODS)  से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर-  जिन उपभोक्ता वस्तुओं का प्रयोग कई सालों तक किया जा सकता है और जो तुलनात्मक रूप से उच्च मूल्य (महँगी ) होती हैं उन्हें टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं कहा जाता है | जैसे – TV,कार ,स्कूटी ,वाशींग मशीन इत्यादि |

(18). अर्धटिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं  (SEMI – DURABL CONSUMPTION GOODS) से आप क्या समझते हैं ?

 उत्तर वे वस्तुएं जिनका प्रयोग सामान्यत: एक साल तक या उससे थोड़ा अधिक समय तक किया जा सकता है और जो ज्यादा महँगी नहीं होती हैं उन्हें अर्ध – टिकाऊ वस्तुएं कहा जाता है | जैसे :- बिजली के सामान ,कपड़े ,चीनी मिट्टी के वर्तन ,मिट्टी के वर्तन इत्यादि |

(19). गैरटिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं (SINGLE USE CONSUMPTION GOODS ) से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर वे वस्तुएं जिनका प्रयोग एक बार ही होता है उन्हें गैर टिकाऊ वस्तुएं कहा जाता है|

जैसे :- पावरोटी , पिज्जा ,बर्गर ,दूध , सब्जी इत्यादि |

         राष्ट्रीय आय का मापन

( 01). राष्ट्रीय आय का मापन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर राष्ट्रीय आय का मापन  वह प्रक्रिया है जिसके तहत एक अर्थव्यवस्था में एक लेखा वर्ष के दौरान हुए समस्त आर्थिक गतिविधियों का गहराई से अध्ययन किया जाता है और जिससे  राष्ट्रीय आय का  अनुमान लगाने के साथ – साथ देश की अर्थव्यवस्था की सेहत का भी अंदाजा लगाया जाता है |

इस कार्य को संपन्न करने के लिए सरकार दोहरी अंकन पद्धति ( Double entry system)  का प्रयोग करती है जिससे कि एक अर्थव्यवस्था में हुए विभिन्न आर्थिक क्रियाओं का आकलन बारीकी से किया जा सके |

(02) राष्ट्रीय आय के मापन का क्या महत्व है ?

उत्तर-  किसी भी देश के लिए राष्ट्रीय आय को मापना काफी महत्वपूर्ण कार्य  माना जाता है जिसके निम्नलिखित कारण हैं :-

a) आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायक

b) अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्रों के महत्व का पता चलता है |

c) अर्थव्यवस्था का ढांचा का पता चलता है |

d) आर्थिक समृद्धि की जानकारी मिल जाती है |

e) बजट नीति के निर्माण में सहायक |

f) विदेशी अर्थव्यवस्था के साथ तुलना करने में सहायक |

g) सार्वजनिक क्षेत्र के महत्व का पता चलता है |

h) लोगों के जीवन – स्तर के बारे में जानकारी मिल जाती है |

(03) राष्ट्रीय आय मापने की आय विधि( income method) की विवेचना करें |

उत्तर राष्ट्रीय आय मापने की आय विधि को साधन भुगतान विधि ( factor payment method) भी कहा जाता है |

इस विधि के अंतर्गत राष्ट्रीय आय का आकलन करने के लिए सबसे पहले एक वर्ष के दौरान देश की घरेलू सीमा के अंतर्गत उत्पत्ति के साधनों द्वारा जितना साधन आय का सृजन किया गया है उसको एक साथ जोड़कर घरेलू आय( NDPfc) की गणना कर ली जाती  है |

ऐसा करने के पश्चात NDPfc में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय( NFIA) को जोड़ दिया जाता है और इस प्रकार हमें राष्ट्रीय आय  प्राप्त हो जाती है |

लेकिन इस विधि के अंतर्गत यदि हमें राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाना है तो इसके लिए

निम्नलिखित कदम उठाने पड़ेंगे :-

A) उत्पादक क्षेत्रों की पहचान एवं वर्गीकरण :-

सबसे पहले हमें अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की पहचान एवं वर्गीकरण करनी होगी जो निम्नवत हैं :-

i) प्राथमिक क्षेत्र

ii) द्वित्तीयक क्षेत्र

iii) तृतीयक क्षेत्र

B) साधन आय की पहचान एवं वर्गीकरण :-

अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की पहचान कंरने के पश्चात उपरोक्त तीनों क्षेत्रों से प्राप्त होने वाली  साधन आय की जानकारी प्राप्त करनी होगी | जिन्हें हम निम्न रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं :-

a) कर्मचारियों को प्रतिपूर्ति ( compensation of employee):- इसमें ऐसे साधन आय / भुगतानों को शामिल किया जाता है जो हमें शारीरिक एवं मानसिक कष्ट उठाने के बदले में प्राप्त होती हैं जो निम्नवत हैं :-

i) मजदूरी / वेतन

ii) सेवानिवृत्ति पर पेंशन

iii) सामजिक सुरक्षा में नियोक्ता ( employers) का योगदान

iv) payments in kind :- नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों को कुछ सुविधा प्रदान करना जैसे- मुफ्त बिजली , मुफ्त पानी ,मुफ्त आवास की सुविधा देना |

b) परिचालन अधिशेष ( Operating surplus) :- इसमें उन साधन आयों को शामिल किया जाता है जो हमें अपनी संपत्ति या उधमशीलता से प्राप्त होती है ये निम्नलिखित हैं :-

i) लगान / किराया

ii) ब्याज

iii) लाभ

c) मिश्रित आय :- एक स्वनियोजित व्यक्ति जब अपने घरेलू उधम को चलाने के लिए अपने ही साधनों का प्रयोग करती है और उसके फलस्वरूप लगान ,मजदूरी ,ब्याज एवं लाभ के रूप में जो मिलीजुली आय प्राप्त करती है तो  उसे मिश्रित आय कहते हैं |

C) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय का आकलन :– राष्ट्रीय आय का अनुमान तब तक नहीं लगाया जा सकता जब तक कि विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय की जानकारी प्राप्त नहीं हो जाती अत: इसका भी आकलन किया जाना आवश्यक है जिसे निम्न सूत्र की सहायता से प्राप्त किया सकता है:-

विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = देशवासियों द्वारा विदेशों से प्राप्त साधन आय –  विदेशियों द्वारा देश में प्राप्त साधन आय

इस प्रकार उपरोक्त साधन आयों का वर्गीकरण करने के पश्चात सबसे पहले  एक वर्ष के दौरान देश की घरेलू सीमा में उत्पत्ति के साधनों द्वारा जितना भी साधन आय का सृजन किया गया है उसकी  गणना कर  घरेलू आय( NDPfc) की जानकारी प्राप्त कर ली जाती है  | इसके बाद अंत में इसमें  विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को जोड़ दिया जाता है और  राष्ट्रीय आय( NNPfc) प्राप्त कर ली जाती है जिसे संक्षिप्त रूप में नीचे दर्शाया  गया है :-

a) कर्मचारियों को प्रतिपूर्ति + प्रचालन अधिशेष + मिश्रित आय = NDPfc

b) NDPfc   + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय  = NNPfc ( राष्ट्रीय आय )

(04) राष्ट्रीय आय का आकलन करते समय क्याक्या सावधानियां बरतनी चाहिए ?

उत्तर राष्ट्रीय आय का आकलन करते समय  निम्न सावधानियों की ओर ध्यान देना चाहिए :-

a) हस्तांतरण भुगतान ( transfer payment) को राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल नहीं किया जाना चाहिए |

b) अवैध तरीके से ( चोरी / जुआ )कमाई गई आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाना चाहिए |

c) आकस्मिक लाभ जैसे लाटरी से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाना चाहिए |

d) Second Hand वस्तुओं को खरीने / बेचने से प्राप्त होने वाली कमीशन (commission) को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाना चाहिए |

e) शेयर/ बांड की बिक्री से दलाल को जो आयी प्राप्त होती है उसे राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए |

f) आय कर से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं करना चाहिए |

(05). राष्ट्रीय आय मापने की मूल्य वृद्धि विधि क्या है ? इसकी विवेचना करें

उत्तर   मूल्य वृद्धि विधि के अंतर्गत राष्ट्रीय आय मापने के लिए सबसे पहले एक वर्ष की अवधि में  देश की घरेलू सीमा के अंतर्गत  सभी  उत्पादक इकाइयों द्वारा उत्पादन प्रक्रिया के दौरान की गई मूल्य वृद्धि की गणना कर GDPmp प्राप्त कर ली जाती है |

फिर इसमें कुछ समायोजन ( adjustment) करते हुए राष्ट्रीय आय अर्थात NNPfc की जानकारी प्राप्त कर ली जाती है |

लेकिन इस विधि के अंतर्गत राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाना है तो निम्न कदम उठाने पड़ेंगे :-

A) उत्पादक उधमों की पहचान एवं वर्गीकरण :- ये मुख्यत: निम्नवत हैं :-

i) प्राथमिक क्षेत्र

ii) द्वित्तियक क्षेत्र

iii) तृतीयक क्षेत्र

B) मूल्य वृद्धि की गणना :– उत्पादक उधमों की पहचान के पश्चात उपरोक्त तीनों क्षेत्रों द्वारा की गई मूल्य वृद्धि की गणना किया जाना आवश्यक है जिसके लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है :-

मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग

C) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय की गणना :- मूल्य वृद्धि की गणना के पश्चात विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय का गणना किया जाना आवश्यक है | इसका आकलन करने के लिए देशवासियों द्वारा विदेशों से प्राप्त साधन आय में से विदेशियों द्वारा देश में प्राप्त साधन आय को घटा दिया जाता है | इसका मूल्य प्राप्त हो जाने पर राष्ट्रीय आय प्राप्त करने के लिए इसे NDPfc के साथ जोड़ दिया जाता है |

इस प्रकार मूल्य वृद्धि विधि के अंतर्गत राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने के लिए सबसे पहले अर्थव्यवस्था के विभिन्न उत्पादक क्षेत्रों की पहचान कर ली जाती है फिर  इसके बाद एक वर्ष के दौरान देश की घरेलू सीमा के अंतर्गत सभी उत्पादक इकाइयों द्वारा की गई कुल मूल्य वृद्धि की गणना कर GDPmp ज्ञात कर ली जाती है |

GDPmp प्राप्त कर लेने के पश्चात राष्ट्रीय आय अर्थात NNPfc तक पहुँचने के लिए निम्न तरीका अपनाया जाता है जिसे समीकरण के रूप में नीचे दर्शाया गया है :-

a) GDPmp – मूल्यह्रास = NDPmp

b) NDPmp – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = NDPfc

c) NDPfc +  विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = NNPfc ( राष्ट्रीय आय )

(06) दोहरी गणना की समस्या( Problem Of Double Counting) से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर राष्ट्रीय आय का आकलन करते समय जब एक वस्तु के मूल्य को एक से अधिक बार गिना जाता है तो  उसे दोहरी गणना की समस्या कहा जाता है |

यह समस्या तब उत्पन्न हो जाती है जब अंतिम वस्तु एवं मध्यवर्ती वस्तु के बीच के अंतर का आकलन सही तरीके से नहीं हो पाता है |

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