Site icon YGT EDUCATION

मांग का सिद्धांत / THEORY OF DEMAND

मांग का सिद्धांत ( THEORY OF DEMAND)

1.मांग (DEMAND) क्या है ?

उत्तर वस्तु की वे मात्राएँ जिन्हें प्राप्त करने की प्रबल इच्छा एवं क्षमता उपभोक्ता रखते हैं तथा जिन्हें वे   एक निश्चित समय अवधि के दौरान विभिन्न संभावित कीमतों पर  खरीदने के लिए भी तैयार रहते हैं उसे मांग कहते हैं |

  1. मांग के होने के लिए किन तत्वों का होंना आवश्यक है ?

उत्तर मांग के होने के लिए निम्नलिखित पांच तत्वों का होना आवश्यक है :-

  1. वस्तु की इच्छा
  2. वस्तु प्राप्त करने के साधन3
  3. वस्तु पर व्यय करने की तत्परता4
  4. एक निश्चित कीमत
  5. निश्चित समय अवधि
  1. मांगी गई मात्रा (QUANTITY DEMANDED) से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – वस्तु की वह मात्रा जिसे क्रेता एक विशिष्ट कीमत एवं समय के एक निश्चित बिंदु पर खरीदने के लिए तैयार रहता है उसे मांगी गई मात्रा कहते हैं | जैसे – रमेश द्वारा 10 रूपये में एक कलम खरीदना |

  1. मांग फलन (DEMAND FUNCTION )क्या है ?

उत्तर- वस्तु की मांग तथा उसको प्रभावित करने वाले कारकों के के बीच जो फलनात्मक सम्बन्ध पाया जाता है उसे मांग फलन कहते हैं | जिसे समीकरण के रूप में निम्न प्रकार से लिख सकते हैं –

Dx = ∫ ( Px,Pr,Y,T,P,E,W,Ad)

जहाँ ,     Dx = वस्तु x की मांग

Px = वस्तु x की कीमत

Pr = सम्बंधित वस्तुओं की कीमत

Y = उपभोक्ता की आय / आय स्तर

T= फैशन / रूचि

P = जनसंख्या में परिवर्तन

E = भविष्य में कीमत परिवर्तन की संभावना

W = जलवायु /मौसम

Ad = विज्ञापन

  1. मांग को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें |

उत्तर – वस्तु की मांग स्थिर नहीं रहती है बल्कि यह कई कारकों से प्रभावित होती है जिसके कारण  कारण वस्तु की मांग में बढ़ने एवं घटने  की प्रवृति देखने को मिलती है | जो क्रमश: निम्नवत है :-

  1. कीमत( price) – कीमत वस्तु की मांग को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है ( अन्य कारकों के स्थिर रहने पर )| अर्थात जब वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो वस्तु की मांग घट जाती है और जब कीमत घट जाती है तो वस्तु की मांग बढ़ जाती है | जैसे – एक कलम की प्रति इकाई  कीमत 5 रूपये है तो लोग 100 इकाईयां खरीदते हैं लेकिन जब कलम की प्रति इकाई कीमत 50 रूपये हो जाती है तो लोग इसकी केवल 50 इकाइयाँ ही खरीदती हैं |
  2. उपभोक्ता की आय ( consumers income ) – आय बढ़ने पर सामान्यता वस्तु की मांग भी बढ़ जाती है | जैसे – मोबाइल फ़ोन एक सामान्य वस्तु है जिसकी मांग आय बढ़ने पर बढ़ जाती है लेकिन जैसे ही उपभोक्ता की आय घट जाती है तो इनकी मांग स्वत: घटने लगती है |
  1. फैशन / रूचि :- वर्तमान उपभोक्तावादी समाज में फैशन लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है लोग नई फैशन के साथ जीना पसंद करते हैं |यही कारण है कि जैसे ही कोई  वस्तु फैशन में आ जाती है तो उसकी मांग काफी तेजी से बढ़ने लगती है लेकिन  इसके विपरीत यदि वह फैशन से बाहर हो जाय तो उसकी मांग लगभग समाप्त भी हो जाती है |
  2. जनसंख्या में परिवर्तन :- जनसंख्या में होने वाली एक भी वृद्धि वस्तु की मांग को तेजी से बढ़ाती है इसके विपरीत जब जनसंख्या घट जाती है तो वस्तु की मांग भी स्वत: घटने लगती है |
  3. भविष्य में कीमत परिवर्तन की संभावना :- यदि लोगों को यह लगे की आने वाले समय में वस्तुओं की कीमतें बढ़ने वाली है तो ऐसी स्थिति में लोग वस्तुओं की वर्तमान मांग को तेजी से बढ़ाने का प्रयास करते हैं इसके विपरीत यदि लोगों को यह लगता है कि आने वाले समय में वस्तुओं  की कीमतें घट सकती हैं तो लोग वस्तु की वर्तमान मांग को कम करने का प्रयास करते हैं |

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि वस्तु की मांग पर कई कारकों का प्रभाव पड़ता है जिसके  कारण कभी- कभी  वस्तु की मांग बढ़ जाती है और कभी घट भी  जाती है जिन्हें हम फलनात्मक रूप में निम्न प्रकार से लिख सकते हैं :-

Dx = ∫ ( Px, Y, Pr, T, P, E )

  1. मांग का नियम ( LAW OF DEMAND) क्या है ? सचित्र समझाएं ?

उत्तर- कीमत के घटने पर वस्तु की मांग बढ़ जाती हो तथा कीमत के बढ़ने पर वस्तु की मांग घट जाती हो तो उसे मांग का नियम कहते हैं |

मांग का नियम की विस्तृत व्याख्या करने का श्रेय प्रसिद्द अर्थशास्त्री  प्रोo मार्शल को जाता है |उनके अनुसार यह नियम “ अन्य बांतें समान रहने पर वाक्यांश”(OTHER THINGS REMAINIG THE SAME ) पर आधारित है अर्थात यह नियम  केवल उस समय कार्य करती है  जब कुछ  मान्यताएं /शर्तें पूरी होती हों |

यह नियम कीमत तथा मांग के बीच के विपरीत सम्बन्ध को प्रदर्शित करती है|

अर्थात , P  ∝ 1/q                                                                             यही कारण है कि मांग वक्र की ढाल ऋणात्मक होती है | जिसे निम्नांकित चित्र में दर्शाया गया है :-

उपर्युक्त चित्र से स्पष्ट है कि प्रारंभ में जब वस्तु की कीमत 50 रूपये  रहती है तो उस समय कलम की  की 100  इकाइयाँ खरीदी जाती हैं  लेकिन जैसे ही कीमत घटकर क्रमश: 40 ,30,20,10 रूपये  हो जाती है तो वस्तु की मांग  बढ़ कर  क्रमश: 200,300,400 एवं 500 इकाईयों के बराबर हो जाती है | इसके विपरीत पुन: कलम की कीमत  बढ़ कर 10 रूपये से बढ़ते हुए 50 रूपये पर आ जाती है  तो कलम की मांग मात्रा भी घट कर 500 इकाई से 100 इकाई पर आ जाती है |

इस प्रकार  मांग का नियम स्पष्ट रूप से हमें यह बताती है की जब भी  की कीमत में वृद्धि होती है तो वस्तु की मांग घट जाती है और जब भी  कीमत घट जाती है तो वस्तु की  मांग बढ़ जाती है अर्थात यह हमें  कीमत  तथा मांग के बीच के  विपरीत सम्बन्ध को बताती  है और  यही कारण है कि मांग वक्र की ढाल बायें से दायें नीचे की ओर गिरती हुई( ऋणात्मक ) होती है |

(07) मांग के नियम की मान्यताओं को लिखें |

उत्तर- मांग का नियम “अन्य बांतें समान रहने पर वाक्यांश” पर आधारित है |जिसका अर्थ है कि मांग का नियम केवल तभी काम करेगी जब निम्नलिखित मान्यताएं /शर्तें पूरी होती हों :-

  1. उपभोक्ता की आय स्थिर होना चाहिए |
  2. उपभोक्ता की रूचि/ फैशन/आदत में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए |
  3. सम्बंधित वस्तुओं की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए |
  4. भविष्य में कीमत परिवर्तन की संभावना नहीं होनी चाहिए |
  5. जनसंख्या का आकार एवं बनावट में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए |
  6. सरकार की कर नीति में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए |
  1. मांग के नियम के अपवादों से आप क्या समझते हैं ? ये कौनकौन से हैं |

उत्तर – मांग का नियम के अपवादों का तात्पर्य उन स्थितियों से है जिनके सम्बन्ध में मांग का नियम लागू नहीं होता | इस धारणा का प्रतिपादन सर रोबर्ट गिफिन ने किया था | उनके अनुसार कुछ ऐसे स्थितियाँ हैं जो मांग का नियम का पालन नहीं करती है|अर्थात ये वो दशाएं है जो कीमत बढ़ने पर मांग के घटने  की एवं कीमत घटने पर मांग के बढ़ने की  प्रवृति को नहीं दर्शाती हैं  | जिनको  गिफिन ने मांग के नियम का अपवाद कहा |

जो  मुख्यतः निम्नलिखित हैं :-

i.प्रतिष्ठासूचक वस्तुएं :- प्रतिष्ठा सूचक वस्तु से सम्बंधित धारणा का प्रतिपादन वेबलेन(VEBLEN) ने किया था | वास्तव में  प्रतिष्ठा सूचक वस्तुएं वे  हैं  जिन्हें समाज में अत्यंत  प्रतिष्ठा की नजर से देखा जाता है |जैसे – सोना ,चांदी ,हीरा , कीमती आभूषण ,कीमती पेंटिंग्स , कीमती कालीन BMW CAR  इत्यादि |इन वस्तुओं की कीमत बढ़ने पर इन्हें और भी अधिक मूल्यवान मान लिया जाता है जिसके कारण लोग कीमत अधिक रहने पर भी इनकी मांग को कम नहीं करते |

ii.उपभोक्ता की अज्ञानता :- उपभोक्ता अज्ञानतावश कभी –कभी महंगी वस्तु को उच्च कोटि का मानने लगता है जिसके कारण  महंगा रहने पर भी वह  वस्तु की अधिक मांग करने लगता है |

iii. युद्ध/आपातकालीन स्थिति :- यह स्थिति उत्पन्न होने पर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता कम हो जाती है फलस्वरूप कीमतें  भी तेजी से बढ़ने लगती हैं लेकिन फिर  भी लोग वस्तुओं की मांग को कम नही करते हैं बल्कि इन्हें प्राप्त करने के लिए वे  किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं क्योंकि लोगों को अपनी जान बचाना ज्यादा जरुरी होता है|

iv. अनिवार्य वस्तु :- गेहूँ ,चावल, दाल ,सरसों तेल ,नमक, कुकिंग गैस इत्यादि अनिवार्य वस्तु की श्रेणी में आती हैं इन वस्तुओं की मांग कीमत बढ़ने पर भी बढ़ा दी जाती हैं क्योंकि जीवन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए इन्हें काफी आवश्यक माना जाता  है |

v.गिफिन वस्तु ( GIFFEN GOODS):- गिफिन वस्तु से सम्बंधित धारणा का प्रतिपादन सर रोबर्ट गिफिन ने किया था | उनके अनुसार ये अत्यंत निम्न कोटि की वस्तुएं है जिनकी मांग कीमत बढ़ने पर भी बढ़ जाती है | लेकिन वास्तविक जिंदगी में इस प्रकार की स्थिति देखने को नहीं मिलती है जिसके कारण सर रोबर्ट गिफिन ने इसे काल्पनिक माना  |

इस प्रकार स्पष्ट है कि मांग का नियम के अपवाद की दशाओं  के अंतर्गत  कीमत बढ़ने पर भी मांग में कमी नही आती  है बल्कि बढ़ जाती है  जिसके कारण इन  अपवाद की स्थितियों में  मांग वक्र की ढाल धनात्मक हो जाती है जिसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है :-

उपर्युक्त चित्र में Mercedes Benz  CAR, जो की एक प्रतिष्ठित वस्तु मानी जाती है , की कीमत एवं मांग मात्रा दर्शायी गई है | चित्र से स्पष्ट है की प्रारंभ में जब कार की कीमत 50 लाख रूपये  प्रति इकाई रहती है तो उस समय कार की 10 इकाई खरीदी जाती है लेकिन जैसे ही कार की कीमत बढ़कर 1 करोड़ रूपये  प्रति इकाई हो जाती है तो कार की मांग भी बढ़कर 20 इकाई हो जाती है ऐसा इसलिए है क्योंकि सामजिक दृष्टि इस कार को अपने पास रखना प्रतिष्ठा की बात मानी जाती है | और  यही कारण है कि मांग वक्र DD बायें से दायीं ऊपर की ओर गमन करने लगती है अर्थात यह धनात्मक  ढाल का रूप धारण कर लेती है |

  1. मांग वक्र की ढाल ऋणात्मक क्यों होती है ?

उत्तर – मांग वक्र की ढाल के ऋणात्मक होने का मुख्य कारण मांग के नियम को माना जाता है क्योंकि यह नियम कीमत तथा मांग के बीच विपरीत सम्बन्ध को दर्शाती है  |   अर्थात , P  ∝ 1/q

इस प्रकार का सम्बन्ध जब भी हमें देखने को मिलेगी  मांग वक्र की ढाल अवश्य ऋणात्मक होगी |

परन्तु मांग वक्र की ढाल के ऋणात्मक होने के कई कारण हैं जो निम्नवत हैं :-

i.सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम :- इस नियम के अनुसार – जैसे- जैसे किसी वस्तु की मानक इकाईयों का लगातार उपभोग  किया जाता है तो  वैसे- वैसे वस्तु की प्रत्येक इकाई से मिलने वाली सीमांत उपयोगिता लगातार घटती जाती है | अत: ऐसी स्थिति में उपभोक्ता किसी वस्तु की अधिक मात्रा का उपभोग तभी करेगी जब वस्तु की कीमत पहले की तुलना में कम हो जाय |

ii.आय प्रभाव ( INCOME EFFECT) :- आय प्रभाव का सम्बन्ध  –  वस्तु की कीमत परिवर्तित होने पर  पर उपभोक्ता की वास्तविक आय में परिवर्तन होने से  है | वास्तव में जब कीमत घट जाती है तो व्यक्ति की आय पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि ऐसा होने पर  उसकी वास्तविक आय बढ़ जाती है जिसके कारण वह पहले की तुलना में  वस्तु की अधिक मात्रा खरीदने में सक्षम हो जाता है | यही कारण है कि किसी वस्तु के सन्दर्भ में मांग वक्र की ढाल  ऋणात्मक हो जाती है |

iii.प्रतिस्थापन प्रभाव ( SUBSTITUTION EFFECT) :- प्रतिस्थापन प्रभाव का तात्पर्य है  – एक स्थानापन्न वस्तु की कीमत में वृद्धि/कमी  होने पर दुसरे स्थानापन्न वस्तु की मांग में वृद्धि/कमी   होना | जैसे – चाय और कोफ़ी दो स्थानापन्न वस्तुएं हैं | अब यदि इनमे से चाय की कीमत बढ़ जाय तो लोग चाय की मांग को घटाते हुए कोफ़ी की मांग को बढ़ाने का प्रयास करेंगे क्योंकि यह चाय की तुलना में सस्ती बनी रहती है |जिसके कारण चाय की मांग वक्र की ढाल ऋणात्मक हो जाती है |

iv.क्रेताओं की संख्या में परिवर्तन :- किसी  वस्तु की कीमत घटने पर खरीदने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ जाती है उसी प्रकार कीमत बढ़ने पर खरीदने वाले लोगों की संख्या भी  तेजी से घट जाती हैजिसके कारण किसी वस्तु के  सन्दर्भ में मांग वक्र की ढाल ऋणात्मक हो जाती है |

उपर्युक्त बिन्दुओं से स्पष्ट है कि जब भी कीमत तथा मांग के बीच विपरीत सम्बन्ध देखने को मिलेगी वैसी स्थिति में मांग वक्र की ढाल निश्चित रूप से बायें से दाएं नीचे गिरती हुई होगी अर्थात ऋणात्मक ढाल वाली होगी |

  1. व्यक्तिगत मांग (individual demand) क्या है ?

उत्तर – वस्तु की वह मात्रा जिसे  प्राप्त करने की प्रबल इच्छा एवं क्षमता एक व्यक्तिगत उपभोक्ता रखती  है तथा जिसे वह एक निश्चित समय अवधि के दौरान एक निश्चित  कीमत पर खरीदने के लिए भी  तैयार रहती  है | उसे व्यक्तिगत मांग कहते हैं |

11.बाज़ार मांग (MARKET DEMAND ) क्या है ?

उत्तर – वस्तु की वह कुल मात्रा जिसे  प्राप्त करने की प्रबल इच्छा एवं क्षमता बाज़ार के सभी उपभोक्ता रखते हैं तथा जिसे वे  एक निश्चित समय अवधि के दौरान  एक निश्चित कीमत पर खरीदने के लिए भी तैयार रहते हैं | उसे बाज़ार मांग कहते हैं |

  1. व्यक्तिगत मांग तालिका ( individual demand schedule) क्या है |

उत्तर –  वस्तु की विभिन्न मात्राओं को प्रदर्शित करने वाली वह तालिका जिसे एक व्यक्तिगत उपभोक्ता विभिन्न संभावित कीमतों पर एक निश्चित समय अवधि के दौरान खरीदने के लिए तैयार रहता है उसे व्यक्तिगत मांग तालिका कहते हैं |

जिसे निम्न तालिका में दर्शायी गई है :-

 कीमत(Rs)

कलम की मांग(इकाई में )  

10

50
20

30

30

10

  1. बाज़ार मांग तालिका ( market demand schedule )

उत्तर – वस्तु की विभिन्न कुल मात्राओं को प्रदर्शित करने वाली वह तालिका जिसे बाज़ार के सभी उपभोक्ता मिलकर अलग –अलग  संभावित कीमतों पर एक निश्चित समय अवधि के दौरान खरीदने के लिए तैयार रहते हैं उसे बाज़ार मांग तालिका कहते हैं |

जिसे नीचे दर्शायी गई है :-

चोकलेट की  कीमत(Rs) उपभोक्ता  ( A) की मांग उपभोक्ता (B) की मांग उपभोक्ता (C) की मांग बाज़ार मांग (इकाई में )

10

500 400 300 1200
20 400 300 200

900

30 300 200 100

600

14 .सामान्य वस्तु ( normal goods) क्या है ?

उत्तर – वे वस्तुएं जिनकी मांग आय के बढ़ने पर बढ़ जाती है उन्हें सामान्य वस्तुएं कहा जाता है | जैसे:-  मोबाइल फ़ोन ,जिन्स फैंट ,स्कूटी, बैग इत्यादि |

15.घटिया वस्तुओं( inferior goods ) से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – वे वस्तुएं जिनकी मांग आय  के बढ़ने पर घट जाती है उन्हें घटिया वस्तुएं कहा जाता है |जैसे :- पावरोटी ,मोटा अनाज ,टायर चप्पल ,बांस का छाता इत्यादि |

  1. सामान्य वस्तु एवं घटिया वस्तु में क्या अंतर है ?

उत्तर – सामान्य  वस्तु एवं घटिया वस्तु में मुख्यता निम्नलिखित अंतर है:-

 सामान्य वस्तु

घटिया वस्तु

i.  आय के बढ़ने पर सामान्य वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है i.आय के बढ़ने पर घटिया वस्तुओं की मांग घट  जाती है
ii.  इनके सम्बन्ध में  आय प्रभाव धनात्मक होती  है | ii.इनके सम्बन्ध में आय प्रभाव ऋणात्मक होती है |
iii.इन वस्तुओं के सम्बन्ध में आय मांग वक्र धनात्मक ढाल वाली होती है |  जिसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है  |:-       iii.इन  iii. इन  वस्तुओं के सन्दर्भ में आय मांग वक्र ऋणात्मक ढाल वाली होती  होती है | जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है |:-  

 

iv.सामान्य वस्तुओं के उदाहरण हैं :- मोबाइल फ़ोन,बैग ,जिन्स फैंट ,बाइक इत्यादि | iv.घटिया वस्तुओं के उदाहरण हैं :- मोटा अनाज ,पावरोट टायर चप्पल इत्यादि |
  1. पूरक वस्तुओं( COMPLEMENTARY GOODS) से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- वे वस्तुएं जिनका प्रयोग एक निश्चित उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक साथ  किया जाता है उन्हें पूरक वस्तुएं कहा जाता है | इन वस्तुओं का प्रयोग अलग –अलग नहीं किया जा सकता है |क्योंकि ऐसा  किये जाने पर इनकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है | जैसे :- पेट्रोल और कार |

  1. स्थानापन्न वस्तुओं (substitute goods ) से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – वे वस्तुएं जिनका प्रयोग किसी निश्चित उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक दुसरे के स्थान पर  किया जा सकता है | उन्हें स्थानापन्न वस्तुएं कहा जाता है | इन वस्तुओं का प्रयोग अलग –अलग किया जा सकता है | क्योंकि ऐसा किये जाने पर भी इनकी उपयोगिता समाप्त नहीं होती है | जैसे :- चाय और कोफ़ी ,पेप्सोडेंट और क्लोज अप, पेप्सी और कोकाकोला ,लक्स और dove इत्यादि |

  1. पूरक वस्तुओं और स्थानापन्न वस्तुओं में क्या अंतर है ?

उत्तर – पूरक वस्तुओं एवं स्थानापन्न वस्तुओं में निम्नलिखित अंतर है :-

पूरक वस्तु

स्थानापन्न वस्तु

i.इन वस्तुओं का प्रयोग सामान्यत: एक साथ किया जाता है | जैसे:-पेट्रोल और कार i.इन वस्तुओं का प्रयोग सामान्यत: एक दुसरे के बदले में किया जाता है | जैसे:- चाय और कोफ़ी
ii.अलग –अलग प्रयोग किये जाने पर इनकी उपयोगिता  समाप्त हो जाती है | ii.अलग –अलग प्रयोग किये जाने पर भी इनकी उपयोगिता समाप्त नहीं होती है |
iii.एक पूरक वस्तु की कीमत बढ़ने पर दुसरे पूरक वस्तु की मांग घट जाती है ?| iii.एक स्थानापन्न वस्तु की कीमत बढ़ने पर दुसरे स्थानापन्न वस्तु की मांग बढ़ जाती है |
iv.इन वस्तुओं के सम्बन्ध में कीमत मांग वक्र ऋणात्मक ढाल वाली होती है | जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-   iv.इन वस्तुओं के सम्बन्ध में कीमत मांग वक्र धनात्मक ढाल वाली होती है |जिसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है |:-

 

  1. आर्थिक वस्तु एवं नि:शुल्क वस्तु में क्या अंतर है ?

उत्तर- आर्थिक वस्तु एवं नि:शुल्क वस्तु में निम्नलिखित अंतर है :-

आर्थिक वस्तु

नि:शुल्क वस्तु

i. इन्हें प्राप्त करने के लिए हमें मुद्रा खर्च करनी पड़ती है i. इनको प्राप्त करने के लिए हमें मुद्रा खर्च नहीं करनी पड़ती है |
ii .इनको बनाने के लिए मानवीय प्रयास की जरुरत पड़ती है | ii . इनको बनाने के लिए किसी प्रकार की मानवीय प्रयास की जरुरत नहीं पड़ती है |
i.  इनका मौद्रिक मूल्य होता है | ii. इनका कोई मौद्रिक मूल्य नहीं होता |
iv.   इनकी मांग  सामान्यत: पूर्ति की तुलना में  अधिक रहती है | iii. ये बड़ी मात्रा में प्रकृति में उपलब्ध रहते हैं |
v. आर्थिक वस्तु के उदाहरण हैं :- कलम, बैग ,जूता इत्यादि | v. नि:शुल्क वस्तु के उदाहरण हैं :- हवा ,सूर्य का प्रकाश ,समुद्र का जल इत्यादि |
  1. सामान्य वस्तु एवं गिफिन वस्तु ( giffen goods) में क्या अंतर है ?

उत्तर- सामान्य वस्तु एवं गिफिन वस्तु में निम्नलिखित अंतर है :-

सामान्य वस्तु

गिफिन वस्तु

i.कीमत बढ़ने पर इनकी मांग घट जाती है | i.कीमत बढ़ने पर भी इनकी मांग  बढ़ जाती है |
ii.इन पर मांग का नियम लागू होता है | ii.इस  पर मांग का नियम लागू नहीं होता है |
iii. इन वस्तुओं के कई निकट स्थानापन्न वस्तुएं उपलब्ध रहती हैं | iii. निकट स्थानापन्न वस्तुओं का अभाव पाया जाता है |
iv.इनके सम्बन्ध  में मांग वक्र की ढाल ऋणात्मक होती है | जिसे नीचे चित्र में दर्शाया गया है :-  iv.इनके सम्बन्ध में मांग वक्र की ढाल धनात्मक होती है | जिसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है :-

 

22.गिफिन वस्तु क्या है ? गिफिन वस्तु होने के लिए किन शर्तों का पूरा  होना आवश्यक है ?

उत्तर – वह निम्नकोटि की वस्तु जिसकी मांग कीमत बढ़ने पर भी बढ़ जाती है उसे गिफिन वस्तु कहते हैं |  गिफिन वस्तु से सम्बंधित धारणा का प्रतिपादन सर रोबर्ट गिफिन ने किया था उनके अनुसार गिफिन वस्तुएं मांग का नियम का पालन नहीं नहीं करती हैं इसलिए उन्होंने इन्हें  मांग का नियम का अपवाद कहा |साथ ही  उन्होंने इन्हें  काल्पनिक भी माना क्योंकि उनका मानना था कि इस प्रकार की स्थितियाँ वास्तविक जिंदगी में  काफी कम देखने को मिलती हैं |

लेकिन कोई वस्तु गिफिन वस्तु तभी मानी जाएगी जब वह  निम्नलिखित शर्तों को  पूरा करेगी  :-

i.वह निम्न कोटि की वस्तु होनी चाहिए |

ii.उस वस्तु का कोई निकट स्थानापन्न  वस्तु नहीं होना चाहिए |

iii.आय का अधिकांश भाग केवल उसी वस्तु पर खर्च होना चाहिए |

23.मांग वक्र पर संचलन (movement along a demand curve ) से आप क्या  समझते हैं ?

उत्तर – मांग को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों जैसे – आय रूचि फैशन आदि  स्थिर रहती हों ,लेकिन केवल कीमत में परिवर्तन हो जाय और जिसके फलस्वरूप  उपभोक्ता  एक ही मांग वक्र पर एक बिंदु से दुसरे बिंदु की ओर गमन करती हो तो उसे मांग वक्र पर संचलन कहते हैं |

मांग वक्र पर संचलन की मुख्यत: दो स्थितियाँ हैं जो निम्नवत हैं :-

( i.) मांग का विस्तार ( expansion of demand )

( ii.) मांग का संकुचन ( contraction of demand )

  1. मांग का विस्तार से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – मांग को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों जैसे –आय ,रूचि,फैशन आदि के स्थिर रहने पर  ,यदि केवल कीमत घट जाय और उसके फलस्वरूप वस्तु की मांग मात्रा बढ़ जाती हो तो उसे मांग का विस्तार कहते हैं |

यह स्थिति उत्पन्न होने पर उपभोक्ता एक ही मांग वक्र पर एक बिंदु से दुसरे बिंदु की ओर बायें से दांये की दिशा में नीचे की ओर  गमन करती है जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-

उपर्युक्त चित्र से स्पष्ट है कि प्रारंभ में जब वस्तु की कीमत OP1 रहती है तो उस समय उपभोक्ता वस्तु की OQ मात्रा खरीदती है जिसके कारण वह  मांग वक्र DD के A बिंदु पर स्थित रहती है लेकिन जैसे ही कीमत घटकर OP हो जाती है तो वह मांग मात्रा को बढाकर OQ1 पर ले जाती है फलस्वरूप वह मांग वक्र DD के A बिंदु से गमन करते हुए बायें से दायें की दिशा में नीचे की ओर बिंदु B पर चली जाती है | जो कि मांग का विस्तार की दशा को स्पष्ट करती है |

  1. मांग का संकुचन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – मांग को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों जैसे आय ,रूचि ,फैशन आदि के  स्थिर रहने पर  यदि  केवल  कीमत बढ़ जाती हो और जिसके फलस्वरूप वस्तु की मांग मात्रा घट जाती हो तो उसे मांग का संकुचन कहते हैं |

यह स्थिति उत्पन्न होने पर उपभोक्ता एक ही मांग वक्र पर एक बिंदु से दुसरे बिंदु की ओर दायें से बायें की दिशा में ऊपर की तरफ गमन करती है जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-

उपर्युक्त रेखाचित्र से स्पष्ट है कि प्रारंभ जब वस्तु की कीमत OP रहती है तो उस समय उपभोक्ता वस्तु की OQ1 मात्रा खरीदती है जिसके कारण वह मांग वक्र DD के A बिंदु पर स्थित रहती है लेकिन जैसे ही कीमत बढ़कर OP1 हो जाती है तो वह मांग मात्रा को घटाकर OQ पर ले जाती है फलस्वरूप वह मांग वक्र DD के A से गमन करते हुए दायें से बायें की दिशा में ऊपर की तरफ B बिंदु पर चली जाती है |जो मांग का संकुचन की दशा को स्पष्ट करती है |

  1. मांग वक्र का खिसकाव (SHIFT IN DEMAND CURVE) से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – कीमत के  स्थिर रहने पर यदि  मांग को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों जैसे – आय, रूचि ,फैशन आदि में परिवर्तन हो जाय और उसके फलस्वरूप वस्तु की मांग मात्रा घटती हो एवं बढ़ जाती  हो तथा  जिसके कारण उपभोक्ता पुरानी मांग वक्र को छोड़कर नई मांग वक्र पर चली जाती हो तो उसे मांग वक्र का खिसकाव कहते हैं |

मांग वक्र का खिसकाव मुख्यत: निम्न दो स्थितियों को प्रदर्शित करती है :-

i.मांग में वृद्धि ( INCREASE IN DEMAND)

ii.मांग में कमी (DECREASE IN DEMAND )

  1. मांग में वृद्धि से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- कीमत के स्थिर रहने पर यदि मांग को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों जैसे- आय ,रूचि,फैशन आदि में परिवर्तन हो जाय और उसके  फलस्वरूप वस्तु की मांग मात्रा बढ़ जाती हो  तो उसे मांग में वृद्धि कहते हैं |

यह स्थिति उत्पन्न होने पर उपभोक्ता पुरानी मांग वक्र को छोड़कर नई मांग वक्र पर  बायें से दायें की दिशा में स्थानान्तरित हो जाती है |जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-

उपर्युक्त रेखाचित्र में कीमत OP ,X अक्ष के सामानांतर खींची गई है जिसे  स्थिर मान ली गई  है |चित्रानुसार  प्रारंभिक स्थिति में उपभोक्ता OP कीमत पर वस्तु की OQ मात्रा खरीदती है जिसके कारण वह मांग वक्र  DD के A बिंदु स्थित  रहती है लेकिन इसी बीच मान लिया कि उपभोक्ता की आय बढ़ गई है तो ऐसी स्थिति वह OP कीमत पर ही वस्तु की OQ1 मात्रा खरीदने में सफल हो जाती है और जिसके कारण वह मांग वक्र DD के A बिंदु से स्थानान्तरित हो कर बायें से दायें की दिशा में  नई मांग वक्र D1D1 के B बिंदु पर चली जाती है जो मांग में वृद्धि की दशा को स्पष्ट करती है |

  1. मांग में कमी से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- कीमत के स्थिर रहने पर यदि  मांग को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों जैसे –आय ,रूचि,फैशन आदि में परिवर्तन हो जाय और उसके फलस्वरूप वस्तु की मांग मात्रा घट जाती हो तो उसे मांग में कमी कहते हैं |

यह स्थिति उत्पन्न होने पर उपभोक्ता पुरानी मांग वक्र को छोड़कर नई मांग वक्र पर दायें से बायें की दिशा में स्थानान्तरित हो जाती है |जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-

उपर्युक्त रेखाचित्र में कीमत OP को X, अक्ष के सामानांतर खींचा गया है जिसे स्थिर मान ली गई है | चित्रानुसार स्पष्ट है की प्रारंभिक स्थिति में उपभोक्ता OP कीमत पर वस्तु की OQ1 मात्रा खरीदती है जिसके कारण उपभोक्ता मांग वक्र DD के A बिंदु पर स्थित रहती है लेकिन इसी बीच मान लिया कि उपभोक्ता की आय घट गई है तो ऐसी स्थिति में उसे उसी OP कीमत पर ही वस्तु की मांग मात्रा को घटाकर OQ के स्तर पर ले जाने के लिए मजबूर हो जाना पड़ता है जिसके कारण वह मांग वक्र DD के A बिंदु  से स्थानान्तरित हो कर दायें से बायें की दिशा में नई मांग वक्र D1D1 के B बिंदु  पर आ जाती है |जो मांग में कमी दशा को  स्पष्ट करती है |

  1. मांग का विस्तार एवं मांग में वृद्धि के बीच क्या अंतर है ?

उत्तर- मांग का विस्तार एवं मांग में वृद्धि के बीच निम्नलिखत अंतर है :-

  मांग का विस्तार

मांग में वृद्धि

i.कीमत घटने के कारण जब वस्तु की मांग मात्रा बढ़ जाती है तो उसे मांग का विस्तार कहते हैं | i.कीमत के अतिरिक्त अन्य कारकों जैसे आय ,रुचि ,फैशन अदि में परिवर्तन के कारण जब  वस्तु की मांग मात्रा बढ़ जाती  है तो उसे मांग में वृद्धि कहते हैं |
ii.इसमें केवल कीमत में परिवर्तन होता है जबकि अन्य कारक जैसे –आय ,रूचि,फैशन आदि स्थिर रहती हैं | ii.इसमें आय,रूचि,फैशन आदि में परिवर्तन होता है जबकि कीमत स्थिर रहती है |
iii.इसमें मांग वक्र नहीं बदलता | iii.इसमें मांग वक्र बदल जाता है |
iv.इसमें उपभोक्ता एक ही मांग वक्र पर एक बिंदु से दुसरे बिंदु की ओर  बायें से दायें की दिशा में   नीचे की तरफ गमन करती है | जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है :- iv.इसमें उपभोक्ता पुरानी मांग वक्र को छोड़कर नई मांग वक्र पर बायें से दायें की दिशा में स्थानान्तरित हो जाती है जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-
 

इस प्रकार स्पष्ट है कि कीमत के घटने पर  जब वस्तु की मांग मात्रा बढ़ जाती है तो उसे  मांग का विस्तार कहते हैं इसके विपरीत कीमत को स्थिर मानते हुए जब अन्य कारकों जैसे –आय रूचि,फैशन आदि में परिवर्तन होने पर वस्तु की मांग मात्रा बढ़ जाती  है तो उसे मांग में वृद्धि कहते हैं |

  1. मांग का संकुचन एवं मांग में कमी के बीच क्या अंतर है ?

उत्तर- मांग का संकुचन एवं मांग में कमी के बीच निम्नलिखित अंतर है :-

मांग का संकुचन

मांग में कमी

i.कीमत बढ़ने पर जब वस्तु की मांग मात्रा घट जाती हो तो उसे मांग का संकुचन कहते है | i. कीमत के अतिरिक्त अन्य कारकों जैसे –आय ,रूचि,फैशन आदि में परिवर्तन होने पर जब वस्तु की मांग मात्रा घट जाती है तो उसे मांग में कमी कहते हैं |
ii.इसमें केवल कीमत में परिवर्तन होता है जबकि  मांग को प्रभावित करने वाले अन्य कारक जैसे – आय ,रूचि ,फैशन आदि स्थिर रहती हैं | ii.इसमें मांग को प्रभावित करने वाले अन्य कारक जैसे –आय रूचि फैशन आदि में परिवर्तन होता है जबकि कीमत स्थिर रहती है |  
iii.इसमें मांग वक्र नहीं बदलता है iii.इसमें मांग वक्र बदल जाता है |
iv.इसके अंतर्गत उपभोक्ता एक ही मांग वक्र पर एक बिंदु से दुसरे बिंदु की ओर दायें से बायें की दिशा में ऊपर की तरफ गमन करती है |जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-       iv.इसके अंतर्गत उपभोक्ता पुरानी मांग वक्र को छोड़कर नई मांग वक्र पर दायें  से बायें  की दिशा में स्थानान्तरित हो जाती है जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-    

निष्कर्षत: हम कह सकते हैं कि कीमत के बढ़ने पर जब वस्तु की मांग मात्रा घट जाती है तो उसे मांग का संकुचन कहते हैं इसके विपरीत कीमत के अलावे  मांग को प्रभावित करने वाले वाले अन्य कारकों जैसे- आय,रूचि,फैशन आदि में परिवर्तन के फलस्वरूप जब वस्तु की  मांग मात्रा घट जाती है तो उसे मांग में कमी कहते हैं |

  1. मांग में वृद्धि के कारणों का उल्लेख करें |

उत्तर- कीमत के अतिरिक्त मांग को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों जैसे-आय,रूचि, फैशन आदि में परिवर्तन के फलस्वरूप जब वस्तु की मांग मात्रा बढ़ जाती है तो उसे मांग में वृद्धि कहते हैं |

यह स्थिति उत्पन होने पर उपभोक्ता पुरानी मांग वक्र को छोड़कर नई मांग वक्र पर बायें से दायें की दिशा में स्थानान्तरित हो जाती है | जिसके मुख्यता: निम्नलिखित कारण हैं :-

  1. आय में वृद्धि :– आय में वृद्धि होने का वस्तु की मांग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिसके कारण वस्तु की मांग सामान्यता: बढ़ जाती है |
  2. पूरक वस्तु की कीमत में कमी :- पूरक वस्तुओं का प्रयोग एक निश्चित उद्धेश्य को पूरा करने लिए सामान्यता: एक साथ  किया जाता है जिसके कारण जब एक पूरक वस्तु की कीमत में कमी होती है तो दूसरी पूरक वस्तु की मांग बढ़ जाती है |
  3. प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में वृद्धि :- इन वस्तुओं का प्रयोग एक निश्चित उद्धेश्य को पूरा करने के लिए एक दुसरे के स्थान पर किया जाता है इसलिए जब एक प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो दुसरे प्रतिस्थापन वस्तु की मांग बढ़ जाती है  क्योंकि यह पहले वाली की  तुलना में सस्ती बनी रहती है |
  4. भविष्य में कीमत वृद्धि की सम्भावना :- यदि लोगों को यह लगे कि भविष्य में वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं तो ऐसी स्थिति में लोग अपनी वर्तमान मांग को बढ़ाने का प्रयास करते हैं |
  5. फैशन/आदत/रूचि बन जाने पर :-कोई वस्तु यदि फैशन/चलन में आ जाय तो उसकी मांग काफी तेजी से बढ़ जाती है उसी प्रकार यदि कोई वस्तु किसी की आदत / शौक बन जाय तो उस वस्तु की मांग  भी काफी तेजी से बढ़ने लगती है |
  6. भविष्य में आय बढ़ने की सम्भावना होने पर :- यदि लोगों को यह लगे कि भविष्य में उनकी आय बढ़ सकती है तो ऐसी स्थिति में लोग अपने वर्तमान मांग को बढ़ाने का प्रयास करते हैं |
  7. लोगों की उपभोग प्रवृति बढ़ने पर :- लोगों में जब उपभोग करने की प्रवृति काफी बढ़ जाती है तो वस्तुओं की मांग भी काफी तेजी से बढ़ने लगती है |
  8. जनसंख्या बढ़ने पर :- तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या वस्तुओं की मांग को भी काफी तेजी से बढ़ा देती है |
  9. पर्व एवं त्योहारों का मौसम आने पर :- पर्व एवं त्योहार लोगों को खुशियों से भर देता है जिसके कारण इन स्थितियों में लोग वस्तुओं की मांग बढ़ी मात्रा में करने लगते हैं |
  10. विज्ञापन/प्रचार :– जिन वस्तुओं का विज्ञापन/प्रचार बहुत अधिक  होता है उनकी मांग सामान्यता: काफी बढ़ जाती है |
  1. मांग में कमी के कारणों का वर्णन करें |

उत्तर- मांग में कमी के कई कारण हैं जो निम्नवत हैं :-

  1. आय में कमी
  2. पूरक वस्तु की कीमत में वृद्धि
  3. प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में कमी
  4. भविष्य में कीमत कम होने की सम्भावना
  5. फैशन /आदत /रूचि से बाहर होने पर |
  6. भविष्य में आय घटने की सम्भावना होने पर |
  7. लोगों की उपभोग प्रवृति कम होने पर
  8. जनसंख्या घटने पर
  9. पर्व /त्योहारों का समय समाप्त होने पर
  10. विज्ञापन /प्रचार की कमी
  11. 32मांग एवं पूर्ति में परिवर्तन का संतुलन कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर- संतुलन कीमत का निर्धारण मांग एवं पूर्ति की सहायता से ही होता है जिसके कारण संतुलन कीमत पर इन दोनों का काफी प्रभाव पड़ता है जिन्हें हम निम्नलिखित बिन्दुओं के अंतर्गत स्पष्ट कर सकते हैं :-

  i.पूर्ति के स्थिर रहने पर जब मांग बढ़ती हो  :-  ,पूर्ति के स्थिर रहने पर जब मांग बढ़ जाती है तो संतुलन कीमत के साथ- साथ संतुलन मात्रा भी बढ़ जाती है  जिसे निम्नांकित रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-

रेखाचित्र से स्पष्ट है कि प्रारंभिक स्थिति में OP एक संतुलन कीमत एवं OQ एक  संतुलन मात्रा है |लेकिन पूर्ति को स्थिर मानते हुए जब वस्तु की मांग में वृद्धि की जाती है तो मांग वक्र DD दाहिनी  ओर खिसक जाती है जिसे नई  मांग वक्र D1D1 द्वारा दिखाया गया है जिसके कारण संतुलन कीमत एवं संतुलन मात्रा दोनों बढ़ जाती हैं जिन्हें रेखाचित्र में क्रमश: OP1 एवं OQ1 के रूप में दर्शायी गई हैं |

ii.पूर्ति के स्थिर रहने पर जब मांग घट जाती हो :- पूर्ति के स्थिर रहने पर जब मांग घट जाती है तो  संतुलन कीमत के साथ साथ संतुलन मात्रा भी घट जाती  है जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-

चित्रानुसार स्पष्ट है कि प्रारंभिक स्थिति में OP1 को एक संतुलन कीमत के रूप में तथा OQ1 को एक संतुलन मात्रा के रूप में दर्शायी गई है |लेकिन पूर्ति को स्थिर मानते हुए जब वस्तु की मांग में कमी की  जाती है तो मांग वक्र DD बायीं ओर खिसक जाती है जिसे नई मांग वक्र D1D1 द्वारा दिखाया गया है जिसके कारण संतुलन कीमत एवं संतुलन मात्रा दोनों घट जाती हैं जिन्हें क्रमश:OP तथा OQ के रूप में दिखाया गया  है |

iii.मांग के स्थिर रहने पर जब पूर्ति बढ़ जाती हो :- मांग के स्थिर रहने पर जब पूर्ति बढ़ जाती है तो संतुलन कीमत तो घट जाती है परंतु संतुलन मात्रा बढ़ जाती है जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-

उपर्युक्त रेखाचित्र से स्पष्ट है कि प्रारंभिक स्थिति में OP1 एक संतुलन कीमत एवं OQ एक संतुलन मात्रा  है |लेकिन मांग को  स्थिर मानते हुए जब वस्तु की पूर्ति में वृद्धि की जाती है तो पूर्ति वक्र SS दाहिनी ओर खिसक जाती है जिसे चित्र में नई पूर्ति वक्र S1S1 के रूप में दर्शायी गई  है | जिसके कारण संतुलन कीमत तो  घटकर OP हो जाती है परन्तु संतुलन मात्रा बढ़कर OQ1 हो जाती है

iv.मांग के स्थिर रहने पर जब पूर्ति घट जाती हो:- मांग के स्थिर रहने पर जब पूर्ति घट जाती है तो संतुलन कीमत तो बढ़ जाती है परंतु संतुलन मात्रा घट जाती है | जिसे निम्नांकित रेखाचित्र में दर्शाया गया है :-

चित्रानुसार स्पष्ट है कि प्रारंभिक स्थिति में OP एक संतुलन कीमत तथा OQ1 एक संतुलन मात्रा  है |लेकिन मांग को स्थिर मानते हुए जब वस्तु की पूर्ति में कमी की जाती है तो पूर्ति वक्र बायीं ओर खिसक जाती है जिसे नई पूर्ति वक्र S1S1 के द्वारा दर्शाया गया गया है जिसके कारण संतुलन कीमत तो बढ़ जाती है परन्तु संतुलन मात्रा घट जाती है जिसे चित्र में क्रमश: OP1 तथा OQ द्वारा दर्शाया गया है |

  1. इच्छा तथा मांग में क्या अंतर है ?

उत्तर- इच्छा तथा मांग में निम्नलिखित अंतर है :-

    इच्छा

 मांग

i.यह केवल किसी वस्तु को प्राप्त करने की चाह को प्रदर्शित करता है | i.यह किसी वस्तु को प्राप्त करने की प्रबल इच्छा एवं क्षमता को प्रदर्शित करती है |
ii.यह मात्र एक कल्पना है | ii.यह वास्तविक है |
iii.इसका कीमत से कोई सम्बन्ध नहीं है | iii.यह कीमत से पूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है |
iv.जैसे – एक गरीब व्यक्ति द्वारा आलिशान घर खरीदना | iv.एक अमीर व्यक्ति द्वारा BMW कार खरीदना |
Exit mobile version