आगम की धारणाएं – ( CONCEPTS OF REVENUEन )
(01) आगम ( REVENUE) क्या है ?
उत्तर – वस्तु की विभिन्न इकाइयों को बेचने पर उत्पादक को जो धनराशि प्राप्त होती है उसे आगम कहते हैं |
(02) कुल आगम ( TOTAL REVENUE) क्या है ?
उत्तर- किसी वस्तु की विभिन्न इकाइयों को बेचने पर उत्पादक को जो कुल धनराशि प्राप्त होती है उसे कुल आगम कहते हैं |
इसे ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है :-
TR = P × Q
जहाँ , TR = कुल आगम
P = प्रति इकाई कीमत
Q = बेचीं गई इकाईयां
(03) औसत आगम ( AVERAGE REVENUE ) क्या है ?
उत्तर- प्रति इकाई उत्पादन की बिक्री से प्राप्त आय को औसत आगम कहते हैं | AR वास्तव में उस दर ( कीमत ) को बताती है जिस दर पर किसी वस्तु की विभिन्न इकाइयों को बेचा जाता है इसलिए इसे वस्तु की प्रति इकाई कीमत भी कहा जाता है | सूत्र के रूप में इसे निम्न प्रकार से लिख सकते हैं :-
AR = TR/Q
(04) सीमांत आगम ( MARGINAL REVENUE) क्या है ?
उत्तर- किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई को बेचने पर कुल आगम में जो परिवर्तन आता है उसे सीमांत आगम कहते हैं |
इसे निम्न सूत्र की सहायता से ज्ञात किया जा सकता है :-
MR = TRn – TRn – 1
जहाँ , MR = सीमांत आगम
TRn = n वीं इकाई का कुल आगम
TRn – 1 = (n – 1) वीं इकाई का कुल आगम
(05) सीमांत आगम (MR), औसत आगम (AR) एवं कुल आगम ( TR) में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर- MR, AR एवं TR में निम्नलिखित सम्बन्ध पाया जाता है :-
a) प्रारंभ में MR, AR तथा TR तीनों आपस में बराबर रहती हैं | अर्थात –
MR = AR = TR
b) जब तक MR धनात्मक रहती है एवं घटती हुई होती है तब तक TR बढती है परन्तु घटती हुई दर से |
c) जब MR = 0 हो जाती है उस समय TR अधिकतम हो जाती है |
d) जब MR ऋणात्मक हो जाती है तब TR घटने लगती है |
e) AR प्रारंभ से ही घटना आरम्भ कर देती है लेकिन यह MR के ऊपर ही स्थित रहती है यह “0” के बराबर हो सकती है लेकिन कभी भी ऋणात्मक नहीं हो सकती है | जिसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया है |:-
उपर्युक्त चित्र से निम्नलिखित बाते स्पष्ट होती हैं :-
- a) बिंदु M पर MR = AR = TR तीनों आपस में बराबर हैं |
- b) बिंदु Q से पहले तक MR धनात्मक रहती है जिसके कारण TR बढती जाती है |
- c) बिंदु Q पर MR = 0 हो जाती है जिसके कारण TR बिंदु E पर अधिकतम हो जाती है |
- d) बिंदु Q के बाद MR ऋणात्मक हो जाती है जिसके फलस्वरूप TR घटने लगती है |
- e) वहीँ AR बिंदु M से प्रारंभ हो कर लगातार घटती जाती है और MR के ऊपर ही स्थित रहती है | यह “0” के बराबर हो सकती है परन्तु कभी भी ऋणात्मक नहीं होती |
आय का चक्रीय प्रवाह
( CIRCULAR FLOW OF INCOME )
(01) आय का चक्रीय प्रवाह से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर– वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन , आय का सृजन एवं व्यय से से सम्बंधित वे क्रियांएँ जो एक अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों के बीच निरंतर एक चक्र के रूप में चलती रहती है उसे आय का चक्रीय प्रवाह कहते हैं | इस प्रक्रिया में उत्पादक क्षेत्र एवं परिवार क्षेत्र विशेष रूप से भाग लेती हैं |
यह प्रवाह स्वत: निरंतर चलती रहती है जो कभी समाप्त नही होती |
जिसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है :-
(02) वास्तविक प्रवाह( REAL FLOW) क्या है ?
उत्तर- अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रो की और वस्तुओं एवं सेवाओं का प्रवाह होना वास्तविक प्रवाह कहलाता है |
जैसे- परिवार क्षेत्र से उत्पादक क्षेत्र की ओर उत्पत्ति के साधनों का प्रवाह होना तथा उत्पादक क्षेत्र से परिवार क्षेत्र की ओर वस्तुओं एवं सेवाओं का प्रवाह होना |
जिसे निम्न चित्र में दिखाया गया है :-
(03) मौद्रिक प्रवाह( क्या है ?
उत्तर- अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की ओर मुद्रा का प्रवाह होना मौद्रिक प्रवाह कहलाता है |
जैसे – उत्पादक क्षेत्र से परिवार क्षेत्र की ओर साधन आय का प्रवाह होना तथा परिवार क्षेत्र से उत्पादक क्षेत्र की और व्यय के रूप में मुद्रा का प्रवाह होना |
जिसे निम्न चित्र में दिखाया गया है :-
(04) आय के चक्रीय प्रवाह के दो क्षेत्रीय मॉडल की व्याख्या करें ?
उत्तर- आय के दो क्षेत्रीय मॉडल के अंतर्गत अर्थव्यवस्था के केवल दो क्षेत्रों को ही शामिल किया जाता है अर्थात यह बंद अर्थव्यवस्था की दशा को प्रदर्शित करती है ये क्षेत्र मुख्यत; निम्नवत हैं :-
- a) परिवार क्षेत्र
- b) उत्पादक क्षेत्र
इन दोनों क्षेत्रों के बीच होने वाले आय के चक्रीय प्रवाह को निम्न चित्र में दर्शाया गया है :-
(05) आय के चक्रीय प्रवाह के तीन क्षेत्रीय मॉडल की व्याख्या करें|
उत्तर- आय के क्षेत्रीय प्रवाह के तीन क्षेत्रीय मॉडल के अंतर्गत अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्रों को शामिल किया जाता है :-
a)परिवार क्षेत्र
- b) उत्पादक क्षेत्र
- c) सरकारी क्षेत्र
इन तीनों क्षेत्रों के बीच आय के चक्रीय प्रवाह की स्थिति को निम्न चित्र में दर्शाया गया है |:-
(06) स्टॉक( STOCK) क्या है ?
उत्तर- वह मात्रा जिसे समय के एक निश्चित बिंदु पर मापा जाता है उसे स्टॉक कहते हैं |जैसे- 10 फ़रवरी 2021 को राकेश के खाते 5 करोड़ रूपये होना |
(07) प्रवाह (FLOW) क्या है ?
उत्तर- वह मात्रा जिसे एक निश्चित समय अवधि के दौरान मापा जाता है उसे प्रवाह कहते हैं |जैसे –
प्रति महीना राम को 1500 रूपये पॉकेट मनी के रूप में प्राप्त होना |
(08) स्टॉक एवं प्रवाह में क्या अंतर है ?
उत्तर- स्टॉक एवं प्रवाह में निम्नलिखित अंतर है :-
प्रभाव (Flow) -प्रभाव (फ़्लो) एक अवधि में होने वाले परिवर्तन या गति को दर्शाता है। यह एक दर या प्रवाह की तरह है, जो यह बताता है कि कोई चीज़ समय के साथ कैसे बढ़ती या घटती है।
उदाहरण-
– एक महीने में कमाई गई आय (Income earned per month)।
– एक साल में किए गए निवेश (Investment made per year)।
– एक देश का वार्षिक निर्यात (Annual exports)।
– बेरोजगारी दर में महीने के आधार पर बदलाव।
अंतर को सरल तरीके से समझें:-
– *स्टॉक* स्थिर और समय के एक बिंदु पर मापी गई कुल राशि है, जबकि *प्रभाव* उस दर या गति को दर्शाता है जिस पर वह वस्तु समय के साथ बढ़ती या घटती है।
– उदाहरण के लिए, यदि किसी के पास बैंक में ₹1 लाख जमा है, तो यह “स्टॉक” है। वहीं, यदि वह व्यक्ति हर महीने ₹10,000 बचाता है, तो यह “प्रभाव” है।
संबंध:- – *स्टॉक* को “प्रभाव” के माध्यम से परिवर्तित किया जा सकता है। जैसे, आपके द्वारा कमाई गई आय (प्रभाव) आपके धन के स्टॉक को बढ़ाती है।